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हूँ जिस हाल में ,या खुदा न रहा करे कोई
मेरे हक़ मे खुदा के लिए न दुआ करे कोई ।
आखरी लम्हे तक कोशिशें रहेंगी जारी यूँही
हूँ जिस तरह से नाकाम न हुआ करे कोई ।
ज़ख्म देकर वो खुश रहे तो कुछ बात बने
मगर इतनी बेरूखी से तो न दवा करे कोई ।
वफ़ा के नाम से ही सहम जाये जेहनो बदन
इतनी बेरहमी से दोस्तों न दगा करे कोई ।
हो सकी न हसरतें कभी हक़ीक़त में तब्दील
किमत ख्वाबों की अजय न अदा करे कोई ।
#अजय प्रसादनालंदा(बिहार )
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