विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार का शोक संदेश

0 0
Read Time3 Minute, 53 Second

Swami Hansdevacharya ji

नई दिल्ली |

जगद्गुरू रामानंदाचार्य पूज्य स्वामी हंसदेवाचार्य जी महाराज का एक सड़क दुर्घटना में महा-प्रयाण न सिर्फ संत समाज वल्कि विश्व हिन्दू परिषद् सहित सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है. हिन्दू समाज व सम्पूर्ण देश को उनका  बहु आयामी अध्यात्मिक व सामाजिक जुझारू व्यक्तित्व सदैव याद रह कर प्रेरणा देता रहेगा.

पूज्य स्वामी जी भारत के उन गिनती के संतों में से थे जो आध्यात्मिक व सामाजिक दोनों प्रकार के सरोकारों पर न सिर्फ अधिकार रखते थे अपितु परिवर्तन लाने के लिए परिणाम आने तक संघर्ष करते थे. वे अनेक वर्षों तक अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री व अध्यक्ष पद पर सुशोभित रहे और वर्तमान में उसके संरक्षक के तौर पर देश भर की संत शक्ति को दिशा देने का प्रयास कर रहे थे. वे पंचनद स्मारक ट्रष्ट के भी मुख्य संरक्षक थे.

जब न्यायालय के अनिर्णय के कारण देश में असमंजस की स्थिति बनी, तब पूज्य हंसदेवाचार्य जी ने ही देश भर में धर्म-सभाएं करके श्रीराम जन्म भूमि के लिए व्यापक जन-जागरण किया. उन सभाओं के बाद आगे का मार्ग दिखाने हेतु प्रयागराज की धर्म संसद में उनका मार्ग दर्शन बहुत ही सम-सामयिक व महत्वपूर्ण था. धर्म संसद से ठीक पूर्व कुम्भ की पावन भूमि पर आयोजित सर्व समावेशी सांस्कृतिक कुम्भ की अध्यक्षता भी उन्हीं ने की थी और पूरे माघ मास में उनके सेवा कार्य अद्भुत् थे.

भारत में जन्मी सभी आध्यात्मिक परम्पराओं को एक सूत्र में पिरोने हेतु उनका मार्ग दर्शन बड़ा ही प्रेरक था. इन सभी परम्पराओं को एक साथ लेकर चलने हेतु पूज्य श्री सदैव प्रयासरत रहे. दिल्ली के तालकटोरा में आयोजित धर्मादेश सभा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी. जब जैन समाज को अल्प-संख्यक घोषित कराने के लिए एक वर्ग प्रयासरत था तब, कई जैनाचार्यों से मिलकर उन्होंने दिल्ली में एक सम्मलेन बुलाकर यह प्रस्ताव पारित कराया कि भारत में कोई अल्प-संख्यक नहीं है.

जगद्गुरू रामानंदाचार्य जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर विराजमान होने पर भी वे हर कार्यकर्ता व संत के लिए सहज रूप से उपलब्ध रहते थे. उनकी यह सहजता व सरलता कभी भुलाई नहीं जा सकती. ऐसे महात्मा का असमय महा-प्रयाण संत समाज ही नहीं वल्कि विश्व हिन्दू परिषद् सहित सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है. हम सभी उनके मार्ग पर चलते हुए उनके अधूरे सपनों को साकार करेंगे.

(एडवोकेट आलोक कुमार, अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद्)

जारी कर्ता :

विनोद बंसल 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

टोटल धमाल : दिमाग रखे बाहर और फ़िल्म का लुत्फ उठाए

Fri Feb 22 , 2019
टोटल धमाल दिमाग रखे बाहर और फ़िल्म का लुत्फ उठाए फ़िल्म समीक्षक इदरीस खत्री द्वारा,, हँसी का तड़का अदाकार अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी, अरशद, रितेश, जावेद,जानी लिवर, संजय मिश्रा, बोमन ईरानी, निर्देशक इंद्र कुमार कहानी पोलिस कमिश्नर(बोमन ईरानी)के चोरी के पैसे एक बिल्डिंग से राधे ब्रो(अजय देवगन) और जानी(संजय […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।