गम-ए-जुदाई

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kaji

इश्क में तेरे हम,
दुनिया को भुला बैठे।

अपनी वफा का ताजमहल,
खुद ही जला बैठे।।

मुकम्मल हो न सका,
प्यार का अफसाना।

इन्तजार में बैठा तेरे,
तेरा ये दीवाना।।

तन्हाई में हम कोई,
गजल गुनगुना बैठे।

इश्क में तेरे हम,
दुनिया को भूला बैठे।।

                                                                            #वासीफ काजी

परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।

 

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