सुभाष का स्वराज

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avinash tiwari
वो क्रांति वीर जलता रहा
    अंधेरों से लड़ता रहा।
ले स्वराज का दीपक
  गांधी जी के संग चलता रहा।
        पर प्रण लिया कठोर
अधिकार हमको चाहिए
भीख नही हमको स्वराज ही चाहिए।
खून कहा बहा दो
       देश प्रेम की राह में
व्याकुल है भारत माँ
जंजीरे उसकी बांह में
 व्यर्थ तेरी जवानी जिसमे न रवानी है।
आ सके देश के काम नही
वो खून नही पानी है।
हुआ तुलादान जब नेता जी का
बढ़चढ़ कर लोग आते थे
कोई सुहाग निशानी सिंदूर दानी
भारत माँ पर चढ़ाते थे।
ले अटल इरादे नेता जी शस्त्र उठा संकल्प लिया
हिद नर नारी से आजाद हिंद का जन्म हुआ।
जो जन्म लिया भारत मे मां
तेरा कर्ज चुकाऊंगा
खून मांगता हूं मैं तुमसे
आज़ाद वतन कर जाऊंगा।
है नमन सुभाष तेरे चरणों मे
श्रध्दा सुमन अर्पण है
तेरे सपनो का भारत आज फिर
कहीं दफन है।
मानवता है सार सार सेना पर पत्थर चलते हैं।
दिल्ली के jnu में आज़ादी के नारे
लगते हैं।
वो देशद्रोह का नारा लगाते
भटके युवा हो जाते हैं,
राजनीति के पुरोधा नतमस्तक
हो जाते हैं।
है जरूरत सुभाष भारत माँ तुझे पुकार रही
करो स्वतन्त्र हैवानों से माता यही विलाप रही।
कहि निर्भया कहि मानवी नोचे
खसोटे जाते हैं।
मानवता को रौंदते लोग
इंसानियत को शर्माते हैं।
आज वक्त है युवा मेरे अब तुम गमन प्रस्थान लिखो
देश के स्वाभिमान के लिए रण
में भी सन्धान करो
जागो उठो शपथ तुम्हे
नव युग का निर्माण करो तुम नव युग का निर्माण करो।
#अविनाश तिवारी
जांजगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

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