आज के कवि एवं उनकी कविता

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rambahadur

एयर कंडीशन में बैठकर जंक फूड खाते खूब

बागों के झुरमुट से रहे सदा अंजान से।
लिखते कविता जरूर मगर कविता होती गद्य
कभी खेतों में पांव न रखा रिश्तों से रहे विरान।
लंदन में बैठकर कविता करते नहीं है कोई ज्ञान
ये तो पैसे वाले हैं भला क्या जाने संवेदना का नाम।
रैंप पर कैटवॉक करना देखकर पहनने सीखा वस्त्र
इज्जत आबरू क्या पता केवल पैसा इनका अस्त्र।
हंसकर चलते बड़े शान से क्योंकि खुले हैं अधोवस्त्र
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान।
हमने तो यही पढ़ा था रिश्तों का रहता था बहुत मान
अब ये परदेशी कविता लिखें जैसे चले हवाई जहाज
जैसे
“मैं एक दिन जा रहा था
रास्ते में एक आदमी मिला।
वह बीमार था रो भी रहा था
पता चला उसकी पत्नी नहीं थी।
हमने उसे वृद्धाश्रम का रास्ता दिखा दिया
मैं बूढ़ा और NRI हूं वहीं तो रहता हूं।”
#राम बहादुर राय “अकेला”
एम.ए.(हिन्दी, इतिहास ,मानवाधिकार एवं कर्तव्य, पत्रकारिता एवं जनसंचार),बी .एड.
मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार,
बलिया (उत्तर प्रदेश)

matruadmin

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