हंसता मुखड़ा

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हंसता बस मुखड़ा है भाई
भीतर सब दुखड़ा है भाई।
हीरा समझ सम्हाले रक्खा
कोयले का टुकड़ा है भाई।
समय बुलबुला पानी का है
कब किसने पकड़ा है भाई ।
इश्तहार से या नारों से
किसका क्या उखड़ा है भाई
अवतारी कहते थे जिसको
वह भी बस फुकरा है भाई
#दिवाकर

matruadmin

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