बड़ी –बड़ी डिग्री को लेकर युवक
रिक्शा खींचे बीच बाजार में
अनपढ़ नेता दौरे पर है
महंगे – महंगे कार में ।
बी.ए., एम.ए., बी.एड., एम.एड.,
का कोई अब है जोर नहीं
चाहे युवक करे पीएच-डी.
शिक्षक के वे योग्य नहीं ।
सरकारी नौकरी के लिए
दर – दर पर देना साक्षात्कार है
नेता को दस्तखत नहीं आये
फिर भी मालामाल है ।
सरकारी बंगले में रहते
मिलता ड्राइवर और कार है
डिग्रीधारी दर – दर भटके
कैसी ये सरकार है ।
एम.बी.ए.की डिग्री ले युवक
भजियां छानेगें बाजार में
जिसने शिक्षा का मरम न जाना
देश का वो ही आधार है।
सब सरकारी सुविधा उनको
लाल बत्ती की शान है
पुलिस, दरोगा, डी.एम., एस.पी
सुरक्षा में परेशान है ।
कैसे होगा देश का भला
शिक्षा का नहीं मान है
मेहनत से युवक करे पढ़ाई
क्यों हो रहा उनका तिरस्कार है ।
सरकारी में काम न मिलता
प्राइवेट में भरमार है
जिसका ज्यादा पहुँच है रहता
उसका ही सरकार है ।
परिचय-
नाम -डॉ. अर्चना दुबे
मुम्बई(महाराष्ट्र)
जन्म स्थान – जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – एम.ए., पीएच-डी.
कार्यक्षेत्र – स्वच्छंद लेखनकार्य
लेखन विधा – गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।
कोई प्रकाशन संग्रह / किताब – दो साझा काव्य संग्रह ।
रचना प्रकाशन – मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।
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काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।
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कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।
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दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।
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अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।