धरणी नववर्ष

0 0
Read Time2 Minute, 26 Second

aalok pandey
क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का
यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं,
धुंध भरे इस राहों में
यह नववर्ष कभी स्वीकार नहीं ।
अभी ठंड है सर्वत्र कुहासा , अलसाई अंगड़ाई है,
ठीठुरी हुई धरा – नील-गगन, कैसी सुंदरता ठिठुराई है।
बाग बगीचों में नहीं नवीनता, नहीं नूतन पल्लवों का उत्कर्ष ;
विहगों का झुंड सहमी – दुबकी ,अन्य वन्यजीवों में भी नहीं हर्ष ।
हिमाच्छादित चादरों से ढकी धरा ,
कुहासा कैसी फैल हर-ओर रही,
खेत-खलिहानों में फैली नीरसता;
सूनी प्रकृति झकझोर रही ।
मत भूलो अपनी मर्यादा, संस्कृति संस्कारों का आवरण,
चीर प्रतिष्ठित , प्राची-चीर महान ;
दृढ-सत्य- विशुद्ध आचरण !
घायल धरणी की पीड़ा को
क्या समझ सके भारतवासी ?
जिनके षड्यंत्रों से घिरा राष्ट्र ,
आज अधिक व्यथित खंडित त्रासी !
‘अरि’ की यादों में निज दर्द भूल ,
खो स्वाभिमान मुस्काते हैं ,
देश-भक्ति का कैसा ज्वर चढ़ा- रचा ,
यह कलुषित नव वर्ष मनाते हैं।
यह देख मुझे आवे हांसी
क्या भूल गए भारतवासी ?
उस दिन ! थी जब छाई उदासी
प्रताड़ित शोषित असंख्य जन-जन सन्यासी।
छोड़ो ! रुक जाओ ! तिमिर भगे ,
प्रकृति हो जाए विशुद्ध स्वरूप ;
फाल्गुन का निखरे रुप सुघर ,
तब मने उत्सव मंगलस्वरुप!
प्रकृति जब उल्लसित होगी, भास्वर जब होंगे दिनमान,
शुद्ध -विशुद्ध ,धवल चांदनी सर्वत्र फैलाये नवल विहान,
ज्ञानी -ध्यानी ,यति व्रति जनों से- ले जीवों में भी फैले मुस्कान;
शस्य श्यामला धरती माता, फैला दे मनोहारी मंगल गान !
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि सादर नववर्ष मना लेना ;
आर्यावर्त की विघटित धरणी पर, मंगल हर्ष मना लेना!
मंगल हर्ष मना लेना ,अपना नववर्ष मना लेना !

#आलोक पाण्डेय
( वाराणसी )

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

कागज के नाव और बचपन

Sat Jan 5 , 2019
आज दफ्तर से निकलने में देर हो गई बरसात का मौसम था। हल्की बूँदा-बांदी हो रही थी। आकाश में बादल उमड़ रहे थे, मानो जोड़ की बारिस आने वाली हो।हल्की हल्की हवा और सून-सान पगडंडियों से चलता हुआ मैं घर की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक मेरी नजर खेल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।