चाहत

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amrita shukla

चाहत है शिखर पर बैठकर आसमान छू लूँ।
मैं बादलों को हाथों मे लेकर,जी भर खेलूं।

मैं किरणों की कूची से चित्र निर्मित करूं
सुनहरे सूरज से मांगकर चमकीला रंग ले लूँ।

पत्थरों से निकल झरना बन विस्तार पाऊं
गुनगुनाती सरिता बन गहरे समुद्र से मिल लूं।

जंगल के ऊंचे ऊंचे वृक्षों की हरियाली बनूं
वो अपने आप ऊगे हुए सुंदर फूलों सा फूलूं।

नीलगिरि,नीम,पीपल,बरगद से सुकून लेकर ,
सरसराती शाखाओं के पत्ते बन हवा में झूलूं।

धरती से नभ तक सुंदर खज़ाना बिखरा पड़ा है,
निस्वार्थ प्यार के मोती ,ज़रा से झोली में भर लूंं।

प्रकृति ने हमको बसाया ,वहीं हमसे प्रकृति बसी,
याद रखना है बात हमको,तुम न भूलो,मैं न भूलूं

#डॉ अमृता शुक्ला

परिचय
नाम….डॉ श्रीमती अमृता शुक्ला
जन्म स्थान…..भोपाल म.प्र.
पितामह……विश्व विद व्याकरणाचार्य पं.कामता प्रसाद गुरू
पिता……..स्व.डॉ राजेश्वर गुरु साहित्य कार
पति…….श्री अनिल शुक्ला
शिक्षा…….एमए हिंदी,पीएचडी हििंदी ,बीएड,
रुचि……संगीत,पठन पाठन,लेखन
प्रकाशित पुस्तकें…..”बेतवा और रेवा ,'” काव्य संग्र्रह । “धीरे धीरे रे मना” काव्य संग्रह “। बालकविताओ का संग्रह'”खेेेल-खेल में सीखो”।
प्रकाशित रचनाएं……ठाणे से प्रकाशित महिला काव्य संकलन “अभियान
ग़ज़ल_दुष्यंत के बाद दिल्ली से प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह में जेएमडी पब्लिकेशन दिल्ली से प्रकाशित नारी चेतना के स्वर, एकता की मिसाल ,श्रेष्ठ काव्य माला भाग _एक और दो,स्वर्ण जंयती काव्य संग्रह में रचनाएं।कवर्धधा छ.ग.से प्रकाशित “काव्य सुमन ” में, जालौन उ.प्र.से प्रकाशित काव्य संग्रह “प्रयास में, ,स्त्री विमर्श__” समकालीन कविता का नया आया” बडोदरा से प्रकाशित काव्य संकलन में “काव्य सुधा”भोपाल से प्रकाशित काव्य संग्रह भाग एक दो ।पत्रिका पंखुरी उत्तराखंड से,मासिक पत्रिका शाश्वत भारती उज्जैन से,विवेक वाणी पत्रिका बडवाह खरगौन,अपना बचपन पत्रिका भोपाल में रचनाएं प्रकाशित।हम सब साथ साथ नई दिल्ली से, समाज कल्याण दिल्ली से में एवं हापुड से निकलने वाली आगमन में रचनाएँ प्रकाशित। जय-विजय ईबुक में बाल-कविताएँ और बाल-कहानी, ईबुक मातृभारती की प्रतियोगिताओं में टॉप टेन में स्थान और उनका प्रकाशन।

सम्मान……पुष्पगंधा प्रकाशन कवरधा के द्वारा काव्य सुमन सम्मान।म.प्र.नवलेखन संघ भोपाल द्वारा साहित्य मनीषी एवं भाषा भारती सम्मान। हम सब साथ साथ नई दिल्ली द्वारा वरिष्ठ प्रतिभा सम्मान,पूर्वोतर हिंदी अकादमी शिलांग द्वारा डॉ महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान ।बीकानेर में सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन में प्रतिभा प्रदर्शन और प्रतिभा – सम्मान
प्रसारण……रायपुर आकाशवाणी से कविताओं एवं कहानी का प्रसारण।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।