गलत आंकलन

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ashok kumar dhoriya
एक सेठ ने एक लड़के को इस शर्त पर नौकर रख लिया कि यदि आपने ईमानदारी से काम किया तो 1000 रुपये महीना वेतन मिलेगा। यदि ईमानदारी से काम नहीं किया तो दस दिन के बाद बिना कोई वेतन दिये यहाँ से भगा दिये जाओगे।
लड़के ने बड़ी ईमानदारी से कार्य किया। इसके बावजूद उसको दस दिन बाद बिना कोई पैसा दिये भगा दिया गया।
अगले ही दिन एक शख्स आता है और चाँदी का एक सिक्का सेठ को देते हुए कहता है कि कल मैं आपकी दुकान से दो किलो चावल लेकर गया था । उस चावल में ये चाँदी का सिक्का मिला है।मैंने सोचा कभी सेठ ने किसी नौकर की ईमानदारी की परीक्षा लेने के लिए इसमें ये सिक्का डाल रखा हो ।बेचारे किसी गरीब नौकर की नौकरी न छूट जाए इसलिए मैं इसे वापस देने आ गया हूँ।
अपने गलत आंकलन के लिए सेठ अपने आप को कोश रहा था।उसने उस नौकर को घर जाकर वापस बुलाया व अपनी गलतफहमी स्वीकारते हुए उसे पुनः नौकर लगा लिया और वह चाँदी का सिक्का भी उसी नौकर को दे दिया।
परिचय:-
अशोक कुमार ढोरिया
मुबारिकपुर(हरियाणा)

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