पर्यावरण

0 0
Read Time2 Minute, 16 Second

babulal sharma
   लावणी छंद*
(शिल्प:-16+14=30 , 
दो दो चरणों में समतुकांत,
चरणांत में लघु,दीर्घ मात्रा
का बंधन नहीं होता)

शस्य श्यामला इस धरती को,
आओ मिलकर नमन करें।
पेड़ लगाकर उनको सींचे,
वसुधा आँगन चमन करें।
स्वच्छ जलाशय रहे हमारे,
अति दोहन से बचना है।
पर्यावरणन शुद्ध रखें हम,
मुक्त प्रदूषण  रखना  है।
.             🌳🌳
ओजोन परत में छिद्र बढ़ा,
उसका भी उपचार करें।
कार्बन गैस की बढ़ी मात्रा,
ईंधन  कम  संचार  करे।
प्राणवायु भरपूर मिले यदि,
कदम कदम पर पौधे हो।
पर्यावरण प्रदूषण रोकें,
वे  वैज्ञानिक  खोजें  हो।
.              🌳🌳
तरुवर पालें पूत सरीखा,
सिर के बदले पेड़ बचे।
पेड़ हमे जीवन देते है,
मानव-प्राकृत नेह बचे।
गउ बचे संग पशुधन सारा,
.          चिड़िया,मोर पपीहे भी।
वन्य वनज,जलज जीव सब,
सर्प  सरीसृप गोहें भी।
.              🌳🌳
धरा संतुलन बना रहे ये,
कंकरीट वन कम कर दो।
धरती का शृंगार करो सब,
तरु वन वनज अभय वर दो।
पर्यावरण सुरक्षा से हम,
नव जीवन पा सकते हैं।
जीव जगत सबका हित साधें,
नेह गीत  गा सकते  हैं।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

परिवर्तन

Sun Dec 16 , 2018
 परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है”, परन्तु परिवर्तन का क्रम क्या होना चाहिए यह भी निर्भर होना चाहिए , आज-कल के अंकुरित पौधे जिनकी वृद्धि नियमानुसार ना होकर अन्य साधनों से बड़ाई जा रही है अर्थात वर्तमान के बच्चे जो उनकी उम्र से कहीं अधिक सोचने लगते है | सोच […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।