बस का टिकट

0 0
Read Time2 Minute, 20 Second
geeta diwedi
रोज की की भाँति आज भी रेखा स्कूल से जैसे ही घर पहुँची कि सुभाष ने तपाक से पूछा । आज भी बस से आयी न , किसी और की गाड़ी से तो नहीं ?…….. प्रतिउत्तर में रेखा ने कुछ न कह , चुपचाप अपना बैग खोला और उसमें से बस की दो टिकटें निकाल कर सुभाष के हाथ पर रख दिया । फिर भर आयीं आँखों को छिपाने का प्रयास करती हुई , भारी कदमों से बाथरूम की ओर चली गई । इधर सुभाष ने उन टिकटों  को ऐसे देखा जैसे कि वो रेखा के  ‘चरित्र प्रमाण -पत्र हों । और उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभर आए । उसी समय उसकी आठ वर्षीय बेटी  रोली , खिलखिलाते हुए सुभाष के नजदीक आयी तो उसने रोली को  गोद में बैठा लिया , और पुचकारते हुए पूछा …. मेरी बिटिया रानी बड़ी होकर क्या बनेगी ?  तब रोली ने हँसते हुए कहा – डॉक्टर !  फिर अपनी बालसुलभ उत्सुकता से पूछा …… पापा पर क्या मम्मी की तरह मुझे भी  दो टिकटें  रोज घर लानी होगी ? पर सुभाष के पास रोली के इस प्रश्न का कोई उत्तर न था । वो  तो बस उसे अपलक ताकता ही रह गया ।
श्रीमती गीता द्विवेदी 
सिंगचौरा(छत्तीसगढ़)
मैं गीता द्विवेदी प्रथमिक शाला की शिक्षिका हूँ । स्व अनुभूति से अंतःकरण में अंकुरित साहित्यिक भाव पल्वित और पुष्पीत होकर कविता के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है । मैं इस विषय में अज्ञानी हूँ रचना लेखक हिन्दी साहित्यिक के माध्यम से राष्ट्र  सेवा का काम करना मेरा पसंदीदा कार्य है । मै तीन सौ से अधिक रचना कविता , लगभग 20 कहानियां , 100 मुक्तक ,हाईकु आदि लिख चुकी हूं । स्थानीय समाचार पत्र और कुछ ई-पत्रिका में भी रचना प्रकाशित हुआ है ।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

वो लड़की दिवानी

Sun Dec 2 , 2018
वो लड़की दिवानी जिसे भूल ना पाया,, वो चाहत पुरानी जिसे भूल ना पाया,, वो ख्वाबों की रातें, वो मुलाकातो के दिन,, उसकी यादों में कटते, हर पल उसके बिन,, उसकी बातें नशीली, मोहक थी हर अद़ा,, खत ऐसे जिन्हें पढ़कर हो गये थे हम फीदा,, उसकी चिट्ठी पुरानी जिसे […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।