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आओ रंगबिरंगे कागज की एक नैया बनाते है।
फिर से बारिश के पानी पर उसे चलाकर,
गए बचपन को चलो फिर लौटा लाते है।।
वो हवाईजहाज कागज का,चलो फिर उड़ाते है।
छोटी छोटी चीजो को पाने से मिलती थी खुशियाँ,
उन्हें फिर से अपने लिए पाने को हाथ बढ़ाते है।।
वो रंग बिरंगी टॉफियां फिर से लाते है।
वो बचपन मे उन्हें दुसरो से छुपाने की
मासूमियत को फिर से जगाते है।।
बस किसी तरह लौट आये वो गया बचपन।
अक्सर वो बचपन के दिन बहुत याद आते है।।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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