लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए हमें अपना अधिकार और कर्त्तव्य जानना बहुत ही आवश्यक है । और इसकी पहली सीढ़ी है *मतदान* । पहले तो ये सुनिश्चित करना होगा की हमें मतदान प्रत्येक दशा में करना है । तत्पश्चात यह तय करना होगा की किसको और क्यों अपना मत दिया जाय ?
‘लोकतंत्र’ जनता के लिए तथा जनता के द्वारा होता है । लोकतंत्र को सार्थक बनाने के लिये प्रत्येक अर्ह नागरिक को मतदान का अधिकार है इसको ऐसे समझ जा सकता है कि मतदान नेताओं का नकेल है । परंतु जागरूकता के अभाव में जनता अपने मताधिकार का प्रयोग पूर्ण रूपेण एवं सही नहीं कर पाती जिससे वही जनता पिसती दिख रही होती है । कथित प्रजा पालकों व शासकों के द्वारा जनता शोषित होती रहती है ।
सर्वप्रथम हमें सही लोगों को चुनने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग शत प्रतिशत करना होगा एवं सोच समझकर ही मतदान करना होगा । यदि हम गलत लोगों का चुनाव करेंगें को उसका खामियाजा हमें ही भुगतान पड़ेगा । और उस दुष्परिणाम का पूरा श्रेय हमें ही जायेगा क्योंकि हमने उनको अपना अमूल्य मत ऐसे घटिये नेतृत्व के हाथ में दिया । यदि हमने मतदान न देकर पल्लू झाड़ लिया तब तो सारे अनिष्ट का दोषी हम ही है । अतः हमें सोच समझ कर मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिये ।
एक बात जो धरातलीय पटल पर दिख रही है कि जो अपने देश की जनता है अधिकतर (आंकड़े प्रतिशत के नहीं है) बड़ी ही निरीह है ,अज्ञानता, अशिक्षा,गरीबी, निठल्लेपन के कारण ।
उसका मानना है कि मतदान से क्या मिलेगा ?
कुछ लोग इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहते है ,वो कहते है छोड़ों भई !
कुछ कहते है जो भैया(चमचे) बतायेगें उन्ही को अपना मत देंगे ।
कुछ लोग बरगला लिए जाते हैं तो कुछ के मतों को खरीद फरोख्त कर लिया जाता है । नेता भी समय का तकाज़ा भांफ कर जनता को लालच देकर व उनके मतों का सौदा कर देतें है । इस परिस्थिति के अप्रत्यक्ष दोषी जनता तथा उनके जागरूकता का अभाव है ।
सभी अपने मत का सही प्रयोग करें , इसके लिए व्यापक प्रचार-प्रसार जागरूक जनों द्वारा समर्पित भाव से करना होगा औपचारिकता मात्र नहीं क्योंकि भारतीय जनता की स्थिति किसी से छिपी नहीं है ।
हमें अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिये। अपना मत अमूल्य है ।
जय लोकतंत्र !!! जय भारत !!!
नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।