#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )
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हर दम घमंड में चुर, मिट्टी का पुतला बहुत मगरूर ।
हर पल दूसरे को नीचा दिखाने का लुत्फ उठा रहा है।।
मिट्टी में एक दिन मिलना है सभी को पता है उसे ।
क्यों फिर दूसरे की मिट्टी को छोटा बता रहा है।।
छोटा है अस्तित्व मिट्टी के दीया तो क्या हुआ,
जग में उजाला बहुत दूर तक फैला तो रहा है।
अपने – अपने मकबरों को दूसरे से बड़ा बता रहा है।
जमीं मरने के बाद तब भी दूसरे के जितनी ही पा रहा है।।
कितनी भी कर ले कोई कोशिश,कुछ भी ना ले जाएगा।
मिट्टी का पुतला एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएगा।।
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