“जानती हूं”

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sushama malik
तू मत भूल कि प्यार को मैं प्यार से झुकाना जानती हूं।
कांटो पर चलते हुए भी मैं अदब से मुस्कुराना जानती हूं।
मेरी गरीबी देखकर मत ठुकरा तू इस तरह मेरे प्यार को,
तेरे प्यार के लिए जालिम मैं सब कुछ लुटाना जानती हूं।
अगर बना सकती हूं मैं मजबूत महल तेरे प्यार का,
पर नफरत में मैं उसे भी जड़ से मिटाना जानती हूं।
मत सोच ठोकरें खाकर आवाज देती रहूंगी तुझे,
तेरी बेरुखी देखकर मैं आज भी तुझे तड़पाना जानती हूं।
सिर्फ सब कुछ समेटना ही मेरी जिंदगी-ए-लत नही,
इन मे से कुछ मैं पानी की तरह बहाना जानती हूं।
अगर इस तरह आजमाता रहा तू मुझे हर कदम पर,
तो बस एक ही पल में मैं तुझे आजमाना जानती हूं।।
तू मत भूल “मलिक” प्यार को मैं प्यार से झुकाना जानती हूं।।

#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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