विचार कभी मर नहीं सकते

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salil saroj
आज तुम मुझे
नकार दोगे
अपनी आत्म-संतुष्टि की भूख में
गिरा दोगे
मुझे
मेरे शीर्ष से
जो मुझे प्राप्त हुआ है
मेरे अथक प्रयत्न से
और
तुम चोरी कर लोगे
मेरे सारे पुरूस्कार
जो मेरे हाथ की लकीरों ने नहीं
न ही मेरे माथे की तासीर ने दी है
बल्कि
जो मैंने हासिल किए हैं
अपनी कूबत से
अपने सामर्थ्य से
तुम्हारे अहंकार से लड़कर
और
सड़ी-गली तंत्रों से भिड़कर
पर
क्या करोगे
मेरे विचारों का
जो इन हवाओं में घुल गई हैं
पानी की तरह मिटटी में फ़ैल गई हैं
जो बिखर गई हैं
नभ में बादल बनकर
जो अंगार बनकर तप रहा है
अग्नि में
और जो अटल,अविचलित हैं
नई नस्ल की वाणी में
जो प्राण बनकर बैठ गया है
जीव-जन्तु हर प्राणी में
विश्वास करो
तुम थक जाओगे
विचारों को मारते मारते
विचारों की तह तक पहुँचते पहुँचते
विचारों की गंभीरता समझते समझते
और
विचारों की शक्ति मापते मापते
क्योंकि
तुम्हें पता ही नहीं है कि
विचार कभी मर नहीं सकते
हाँ
कुछ देर को दब सकते हैं
तुम्हारे बम,तोप और तानाशाही से
पर
ये फिर उठ खड़े होंगे
किसी दिन
जीसस की तरह
और
तुम्हें माफ़ कर देंगे
तुम्हारी बेबसी
और
लाचारी के किए
क्योंकि
तुम
कभी विचार से जुड़ नहीं पाए
अपनी कोई राय
विकसित नहीं कर पाए
तुम कर पाए
सिर्फ
चोरी
या
बनकर रहे परजीवी
सारी उम्र
जो दूसरों की विचारों पर
तब तक ही टिक सका
जब तक की
वो बाज़ार में बिक सका
#सलिल सरोज

परिचय

नई दिल्ली
शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011),  जीजस एन्ड मेरीकॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)।

प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका”कोशिश” का संपादन एवं प्रकाशन, “मित्र-मधुर”पत्रिका में कविताओं का चुनाव।सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।