हिंदी भाषा हमारी भाषा

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bharti vikas preeti
आधुनिकता से भरी दौड़ मे, भागते जा रहे हम।
राष्ट्रभाषा को छोड़ पीछे,आंग्ल को अपनाते जा रहे हम।
राष्ट्र भाषा का जन्मदिवस,आधी आबादी को याद नही।
वैलेंटाइन, रोज डे,और न जाने क्या-क्या नए दिन मना रही।
सम्मान से बोले अपनी भाषा,
तभी प्रसन्न होगी भारत माता।
कई बड़े कवियों के रचनाओं का संगम है हिंदी,
मीठी, सरल,सहज है हिंदी,सबके बातचीत का सार है हिंदी।
लेकिन ये कैसा प्रेम है,जिसका हम गुणगान कर रहे।
आते समय मे उसीको भूल रहे।
अंग्रेज़ी का पहनावा जो ओढ़,पढ़े लिखे कहलाए।
राष्ट्रभाषा का जो करे प्रयोग तो लज्जित बन जाए।
विदेशी बातों को बखूबी अपनाते जा रहे है हम,
फिर क्यों अपनी भाषा मे बोलना,इससे पिछड़ते जा रहे हम।
#प्रीती मोहनानी
साहित्यिक उपनाम -भारती विकास
स्थान-जमशेदपुर,झारखंड
शैक्षणिक योग्यता- एम. कॉम,एम. ए(हिंदी),बी.एड
प्रकाशन- साहित्यिक पीडिया मे प्रेक्षित

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