*दहेज के दानव*

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ARCHANA KATARE

चाहे कितनी योजनाएं हों।
या कितना ही लाभ मिले।
बदल नहीं सकता आज भी कोई जमाने को
बच्चा पैदा होते ही।
बेटी बेटा मे फर्क आ जाता है।।
आज भी बैटी होने पर ।
चेहरा उतर जाता है।।
बेटा जन्म होते ही बाजे बजते हैं।
खुशियाँ मनायी जाती हैं।।
दीवालों पर आज भी ।
दूबा लगायी जाती है।।
बेटा होने पर गये त्यौहार वापस आते हैं।
बेटी होने पर सब धरे के धरे रह जाते हैं।।
बेटी को भी पढा कर। डाक्टर, इँजीनियर बनाते हैँ।।
शौक दोनों के पूरे करते।दोनों को सुयोग्य बनाते हैं।।
बेटी जब ब्याह योग्य होती है।
और कमाई लाती है।।
तो यही बेटे वाले पूछते।
कितना पैकेज लाती हो।।
रँग ,रूप ,हेल्थ, हाइट।सब गायों की तरह देखते हैँ।।
तब भी यह कमाई वाली कन्या।
गुम सुम सी रह जाती है।।
जब बात आती दहेज की।
तब ये बोली वाले आगे बढ जाते हैं।।
इन बोली वालोँ के आगे। सुयोग्य कन्या पीछे रह जाती है।।
माँग पूरी न होने पर।
सुयोग्य कन्या को ,
मारा जाता है।।
क्यों इन दानवों को आखिर।
अपनी कन्या देता है।।
रह जाने दो ऐसे लडकों को क्वारे।
भटकने दो सारों को द्वारे द्वारे।।
      अर्चना कटारे
      शहडोल( मध्यप्रदेश)
परिचय
 
नाम:अर्चना कटारे
माता:श्यामा देवी गुप्ता
पिता : स्व.वीरेन्द नाथ गुप्ता
पतिःश्री नीरज कटारे
जन्म स्थानःसिहोरा
शिक्षाः एम ,ऐ ,इतिहास
कार्य क्षेत्र ःशहडोल
सामाजिक क्षेत्रःसमाज की उन्नति के कविताओं के माध्यम सेलोगों मे चेतना जाग्रत  करना
विधाः काव्य लेखन भजन,कवितायेँ
गद्यः सँस्मरण,लघुकथा, कहानी,यात्रा वृत्तांत,।
लेखनके क्षेत्र मे प्रयत्नशील हूँ, पाराँगत नहीं हूँ।
प्रकाशन ः 
वनिता पत्रिका, सरिता मे कुछ कालम प्रकाशित।
 
ग्रह लक्ष्मी पत्रिका मे एक कालम प्रकाशित हुआ।
 
गहोई बन्धु पत्रिका मे लगातार कविता  प्रकाशित होतीं रहतीँ है जो कि मरे मनोबल को बढातीँ हैँ।
 
समाचारपत्र ः
 
 दैनिक भास्कर, समय, पत्रिका , समाचार पत्रों में कवितायें ,और लेख लघुकथा का आना ,मरे लिये नयी ऊर्जा भर देती है।
लोकजँग मे मेरी रचना को स्थान मिला ये मेरे लिये बहुत गौरव की बात है ।
 
हिन्दी शब्द शक्ति मे प्रकाशित कवितायेँ,सँस्मरण, लघुकथा आदि।
 
।गहोई महिला मँण्डल द्वारा ,प्रकाशित प्रयास पत्रिका में कहानी *इँसानियत का नतीजा* भी लिखी ,जिसकी सभी ने सराहना की ।
 
कभी कभी व्यँगयात्मक कविता लिख देती हुँ।
 
किसी घटना को देख कर मेरा मन भर आता और मे अपने को न रोकते हुए भी लिख देती हुँ।
 
सम्मानः बडे रूप मे तो नही मिला ।
 
लेखन का उद्देश्य ः समाज को दहेज मुक्त करवाना, बेटियां पूरी तरह सुरक्षित हो, पर्यावरण सुरक्षित रहे, ज्यादा तर कविता मेरी सँदेशात्मक रहती हैँ ।देश की प्रगति हो आदि।

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