ग़ज़ल

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om prakash yati

दिल में सौ दर्द पाले बहन-बेटियाँ

घर में बाँटें उजाले बहन-बेटियाँ

कामना एक मन में सहेजे हुए

जा रही हैं शिवाले बहन-बेटियाँ

ऐसी बातें कि पूरे सफ़र चुप रहीं

शर्म की शाल डाले बहन-बेटियाँ

हो रहीं शादियों के बहाने बहुत

भेड़ियों के हवाले बहन-बेटियाँ

गाँव-घर की निगाहों के दो रूप हैं

कोई कैसे सँभाले बहन-बेटियाँ

ओमप्रकाश यती

पिता : स्व॰ श्री सीता राम यती (स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी )

माता : स्व॰ परम ज्योति देवी

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में .

सिविल इंजीनियरिंग तथा विधि में स्नातक और हिन्दी साहित्य में एम.ए.

प्रकाशन : पहला ग़ज़ल- संग्रह “बाहर छाया भीतर धूप” राधाकृष्ण प्रकाशन,दिल्ली से 1997 और

दूसरा ग़ज़ल-संग्रह “सच कहूँ तो” 2011 में प्रकाशित.

• कमलेश्वर द्वारा सम्पादित हिन्दुस्तानी ग़ज़लें , ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद….(1), सात आवाज़ें सात रंग आदि महत्वपूर्ण संकलनों में ग़ज़लें प्रकाशित .

. नागपुर में आयोजित आकाशवाणी के सर्व भाषा कवि-सम्मेलन -2008 में कन्नड़ कविता के हिन्दी अनुवादक कवि के रूप में भागीदारी.

• अखिल भारतीय साहित्य-कला मंच,मेरठ के “दुष्यंत स्मृति सम्मान-2011” से सम्मानित .

• ग़ज़ल-संग्रह “सच कहूँ तो “ के लिए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती,दिल्ली का यशपाल जैन सम्मान -2013

• पंचवटी लोक सेवा समिति,नई दिल्ली द्वारा विगत 29 सितंबर ’ 2013 को “राष्ट्र भाषा गौरव सम्मान -2013 “ प्रदान किया गया .

• 22 दिसंबर’2013 को “समन्वय “ सहारनपुर द्वारा ग़ज़ल के क्षेत्र में किए गए कार्य के लिए सृजन-सम्मान ’2013 प्रदान किया गया।

• इन्टरनेट के कविताकोश (kavitakosh.org) के रचनाकारों में से एक.

सम्प्रति : उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियन्ता पद पर कार्यरत तथा वर्तमान में ओखला, नई दिल्ली में पदस्थापित

सम्पर्क : ग्रेटर नौएडा (उत्तरप्रदेश)

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।