घर

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shalini jain
घर जो कभी जगमगाता था रौशनी से ,आज खंडर सा वीरान है
उसमे रहने वाला कुछ इस तरह से सोचता है। . . . . . . . . . . . . . . . ….. . . . . ..
आज तू खड़ा वीरान है !
खंडर बना तुझमे में न जान है !
जीता था तू जब मै तेरा हिस्सा हुआ करता था
जगमगाती थी बिजलियाँ
हर दिन दीवाली सा हुआ करता था
आज तू खड़ा वीरान है
तुझमे न जान है
देखा है तुझे जीते हुए मैने कुछ इस तरह
कितनी खुशिया और दुःख बाटे हमने साथ है
तू एक घर नहीं
मै और तू आत्मा और जान है
कभी सुख दुःख के थे साथी हम
आज तू भी तन्हा मै भी तनहा
दोनों की छीन गयी जान है
आज भी तेरे हर कोने का अहसास ज़िन्दा है मेरे वजूद में
आज भी तेरे संग जीने की आस है मेरे दिल में u
देखा है तुझे। …. ….. …….. ………
#शालिनी जैन

matruadmin

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