अब हिन्‍दी प्रश्नपत्र उत्तीर्ण करना होगा अनिवार्य

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भोपाल ।
राज्‍य सरकार ने सहकारिता विभाग में लोक सेवा आयोग के द्वारा सीधी भर्ती के माध्‍यम से चयनित सहायक आयुक्‍त यह सहायक पंजीयक के लिए विभागीय परीक्षा उत्‍तीर्ण करने के नये नियम जारी किया है। जिसमें गैर हिन्‍दी  भाषी सहायक आयुक्‍त को हिन्‍दी का पेपर उत्‍तीर्ण करना जरूरी किया गया है। नये नियमों के तहत अब सहकारिता विभाग साल में दो बार जनवरी एवं जुलाई में विभागीय परीक्षा आयोजित करेगा। परीक्षा में छह प्रश्‍न-पत्र होंगे जिनमें शामिल हैं- सहकारिता सामान्‍य, सहकारिता तथा सामान्‍य विधि (पुस्‍तकों सहित), सहकारी बैंकिंग प्रणाली, सहकारी लेखा-अंकेक्षण, आदेश लेखन(पुस्‍तकों सहित)तथा सामान्‍य हिन्‍दी(गैर हिन्‍दी भाषी प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए)। नियम में कहा गया है कि ऐसे समस्‍त अधिकारियों को गैर हिन्‍दी भाषी समझा जायेगा जिन्‍होंने मैट्रिक या उसके समकक्ष परीक्षा हिन्‍दी माध्‍यम या हिन्‍दी विषय को लेकर उत्‍तीर्ण नहीं की हो तथा जिनकी मातृ भाषा हिन्‍दी न हो। हिन्‍दी भाषा का पेपर दसवीं कक्षा के स्‍तर का होगा। परीक्षा में प्रत्‍येक प्रश्‍न–पत्र को सामान्‍य अभ्‍यर्थी द्वारा न्‍यूनतम 65 प्रतिशत के साथ तथा अजाजजा अभ्‍यर्थी को न्‍यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ उत्‍तीर्ण करना जरूरी किया गया है।
नियमों में कहा गया है कि अभ्‍यर्थी को परीक्षा दो वर्ष की कालावधि के अंदर उत्‍तीर्ण करनी होगी। यदि सभी प्रश्‍न पत्रों को उत्‍तीर्ण करने में असफल रहता है तो उसका सेवा में स्‍थायीकरण नहीं किया जायेगा तथा द्वितीय वेतन वृद्धि स्‍वीकृति नहीं की जायेगी, परन्‍तु प्रश्‍न पत्र 4 एवं 5 उत्‍तीर्ण करने पर प्रथम वेतन वृद्धि स्‍वीकृत की जायेगी किन्‍तु आगामी वेतन वद्धियांतब तक स्‍वीकृत नहीं की जायेंगी जब तक कि प्रशिक्षु अधिकारी समस्‍त प्रश्‍न पत्रों को उत्‍तीर्ण नहीं कर लेता। इस समय सहकारिता विभाग में सहायक आयुक्‍त सह पंजीयक के कुल 87 पद स्‍वीकृत हैं।
संयुक्‍त आयुक्‍त सहकारिता मप्र, अरविन्‍द सिंह सेंगर ने बताया कि विभागीय परीक्षा के नये नियम जारी किये गये हैं। पीएससी में चयनित होने के बाद इस परीक्षा को उत्‍तीर्ण करना जरूरी होता है। अन्‍यथा सेवामुक्‍त किया जा सकता है। चूंकि विभाग में अब सारा कामकाज हिन्‍दी भाषा में ही होता है इसलिए गैर हिन्‍दी भाषी अधिकारियों के लिए हिन्‍दी के प्रश्नपत्र में उत्तीर्ण होना जरूरी किया गया है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।