फिर से नामकरण……….

1
0 0
Read Time2 Minute, 39 Second

anupa harbola

“लता एक थाली में ज़रा चावल तो भर कर ला”, उसकी बुआ सास बोली।

“अभी लाती हूं”।

वो थाली में चावल भर कर लाती है…….

“ये लो बुआजी पर किस लिए चाहिए ये चावल आप को”।

“अरे! भूल गई क्या,बहू को नया नाम देना है”।

“ले मुन्ना लिख इसका नया नाम इसमें”, वो चावल भरी थाली लता के बेटे की तरफ सरका देती है।”

“मेरा नाम है ना आभा जोशी” लता की बहू धीमी आवाज़ में बोली।

“अरे, वो तो तेरा मायके का नाम है, आज से वो ख़तम ,आज जो तुझे नाम मिलेगा वह आज से तेरा नाम होगा “बुआ बोली।

“पर…”

“पर वर कुछ नहीं, सबका बदला जाता है,मेरा ,तेरी सास का और उसकी सास का, सभी को शादी के बाद नया नाम मिला” बुआ बोली।

“पर मेरे सर्टिफिकेट में मेरा नाम आभा जोशी  है” बहू ने बोला।

“एक एफेडेविट बन जायेगा, और हो गया नाम बदली”….बुआ ने कहा।

“पर…”

“फिर पर”, बुआ बोली।

“बुआ जी मैं नाम को आभा जोशी लोहनी कर लेती हूं ये भी तो नया नाम है”, बहू ने फिर कोशिश की ।

“नहीं तेरा नाम आज से काव्या लोहनी है, कमल के नाम से मिलता हुआ। क से कमल, क से काव्या देख, मैचिंग मैचिंग” बुआ बोली।

नई बहू का चेहरा देख कर सास जान जाती है कि आभा (नई बहू) खुश नहीं है।

“बुआ आज के समय में कोई नहीं बदलता है नाम, ये पुराने दिनों की बात है, जब औरते घर पर रहती थी,पर आज के समय में लड़कियां नौकरी करती हैं, कितनी परेशानी होती है नए नाम के चक्कर में ,कोई नहीं देता नया नाम बहू को अब” लता बोली।

“सही सीख दे रही है तू अपनी बहू को मेरी बात काट कर” गुस्से में बुआ बोली।

“अरे बुआजी, गुस्सा काहे हो रही हो, ज़माने की बात कर रही हूं मैं”।

“जो करना है करो “बोलकर बुआ पीछे सरक जाती है।

आभा  आँखों आँखों में अपनी सास को धन्यवाद बोलती है, दोनों सास बहू एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते हैं।

कमल चावल की थाली में “आभा जोशी “लिख देता है….

अनूपा हर्बोला

विद्यानगर(कर्नाटक)

 

 

 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “फिर से नामकरण……….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

शहर में

Fri Jul 13 , 2018
मुनासिब  नहीं  हर  रोज मिलना  शहर में बहुत मुश्किल है एकसाथ चलना शहर में। ख्वाहिशें दम तोड़ देती है हर शाम यहां हर सुबह उठाता है नया सपना शहर में। कल की मुलाकात आज पुरानी हो जाती है गिरगिट- सा रंग पड़ता है बदलना शहर में। हंसते-गाते खुशियां मनाते मस्ती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।