1

कौन बेवकूफ़ (गधा) इसे कायराना हमला कह रहा है ? अरे कहकर मारा है..बताकर मारा है..सेना के संरक्षण में मारा है…और घुसकर भी मारा है। अरे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते ही मारा है…जी हां,भक्तों को ही मारा है और एक आतंकी की बरसी पर ही मारा है… उस देश […]

बेवजह की चीज खरीदते-खरीदते एक दिन ऐसा आता है कि,जरूरत के लिए वजह की चीज बेचनी पड़ती  है,इसीलिए सोच-समझकर कदम उठाना वक्त की नजाकत है। उसी हिमायत की आज बहुत दरकार है,देश में चंहुओर व्यसन,फैशन और फंतासी जीवन की उधेड़बुन में खर्चीले,जहरीले और जानलेवा सामानों की भरमार है। जिसे आए […]

आदमी एक चिपकू पदार्थ है,जहां मौका मिला चिपक गया। माइक में कोई फेविकॉल नहीं होता,गोंद नहीं होता,आकर्षण-सौंदर्य नहीं होता,दिखने में एक पाइप की तरह,आवाज कभी अच्‍छी-तो कभी खराब निकलती है और कभी बेसुरी,बकवास -सी लगती है,लेकिन आम  से लेकर खास आदमी तक चाहता है-माइक मेरे पास रहे। लोग पिता को […]

अंग्रेजी की अनिवार्य पढ़ाई हमारे बच्चों को कैसे तबाह कर रही है, उसके दो उदाहरण अभी-अभी हमारे सामने आए हैं। पहला तो हमने अभी एक फिल्म देखी, ‘हिन्दी मीडियम’ और दूसरा इंडियन एक्सप्रेस में आज दिव्या गोयल का एक लेख पढ़ा, जिसका शीर्षक था- ‘इंगलिश विंगलिश’! ‘हिन्दी मीडियम’ नामक इस […]

यशोमति खुश थी,पति डीएम बन गया था कि,चलो पास न सही दूर है,पर मेरे तो हैं..। भारतीय नारी की तरह सारे गम भुला चुकी थी। पति के इतने बरसों के बेरुख़ेपन के बावजूद ईष्ट का शुक्र मना रही थी। उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी कि,उसका पति अपना लेगा,पास बुला लेगा। […]

इसे जनसाधारण की बदनसीबी कहें या निराशावाद कि,खबरों की आंधी में उड़ने वाले सूचनाओं के जो तिनके दूर से उन्हें रसगुल्ले जैसे प्रतीत होते हैं,वही नजदीक आने पर गुलगुले-से बेस्वाद हो जाते हैं। `मैंगो मैन` के पास खुश होने के हजार बहाने हो सकते हैं,लेकिन मुश्किल यह है कि,कुछ देर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।