इस भीषण तपती गरमी में एक अद्भुत शीतल कल्पना हो चली,खुली आँखों ने एक प्यारा स्वप्न दिखाया,और मैं शरद ऋतु की प्रभात बेला में तुम्हारे संग सैर पर निकल चली। हाथों में डाले हाथ लहराते हुए सुबह की हल्की गुलाबी ठंड…।एक ‘हरश्रृगांर के पेड़’ पर बरबस दृष्टि चली गई…। हरी […]

लोग गालियां भूल न जाएं,इसलिए कुछ लेखक अपनी रचनाओं में जी खोलकर गालियों को भरपूर इस्तेमाल करते हैं। अगर गालीमार्का लेखक नहीं होते तो बेचारी गालियों का क्या होता? लोग धीरे-धीरे भूल न जाते? जब साहित्य में गालियां थोक के भाव में आएँगी तो अज्ञानी पाठक भी यही सोचेगा कि […]

भारतीय स्टेट बैंक ने ग्राहक सेवा को बेहतर जाना और हिन्दी की शक्ति को माना है,इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधन को बधाई देता हूँl हमारे एक मित्र जो,भारतीय स्टेट बैंक के ग्राहक हैं और पिछले काफी समय से यह माँग कर रहे हैं कि नेट बैंकिंग संबंधी तमाम […]

माँ के आंचल में लेकर किलकारी, बोलना सीखते अपनी मातृभाषा। जिसमें बुने जाते हैं मीठे-मीठे रिश्ते, पाकर जिसे पूरी हो हर अभिलाषा। बरगद-सी,अमराई-सी है मातृभाषा, फैली है हमारे अंदर इसकी आभा। समाज,परिवार,देश की मजबूती, गठबंधन बनाए रखती है मातृभाषा। बहुत दुखती है,हिन्दी की अंतरात्मा, जब हम शान से बोलते अंग्रेजी […]

स्पष्ट अभिव्यक्ति जब अपनी हो आशा, सबसे सुलभ,सशक्त,सुन्दर लगे मातृभाषा। गैर भारतीय भाषाएं बहुत ही भरमाएं, शब्द प्रचुर मिले न अभिव्यक्ति लड़खड़ाए । पठन-पाठन, जपन-छापन,अपूर्ण प्रत्याशा, अपनी संस्कृति न मिले, उड़ न सके आशा। किस्से, कहानी, कविता की भाषाएं खान हैं, विज्ञान,प्रौद्योगिकी का न अपना आसमान है। भारतीय प्रतिभाएं ही […]

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गांधी जयन्ती के अवसर पर जब सारा देश सफाई आंदोलन के अभियान पर झाडू उठाए सड़कों पर उतर आया था,मैं अपने एक रिश्तेदार से मिलने मेरठ के एक गाँव में गया। मेहमानदारी और आवभगत हुईl बच्चे और उनके माता-पिता मिलकर बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने बड़े शौक से अपने एक छोटे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।