सृष्टि में रंगों से ही बहार हैं| प्रत्येक रंग का अपना महत्व तथा प्रकृति है जो कि विभिन्न रोगों को दूर करने में सहायक होती है| रंगों के बिना जीवन की कलप्ना उसी प्रकार व्यर्थ है, जिस प्रकार प्राणों के बिना शरीर की | प्रकाश को जब हम परावर्तित करते […]

इंटरनेट की इस दुनिया ने पाठकों की पहुँच और पठन की आदत दोनों ही बदल दी है, इसी के चलते प्रकाशन और लेखकों का नज़रिया भी बदलने लगा है। भारत में लगभग हर अच्छे-बुरे का आंकलन उसके सोशल मीडिया / इंटरनेट पर उपस्थिति के रिपोर्टकार्ड के चश्में से देखकर तय […]

दोस्तों हम और हमारे पूर्वज जो कीज्यादा पढ़े लिखे नहीं होते थे न ही ज्यादाडिग्रियां उन लोगो के पास होती थी /परन्तु फिर भी वो लोग आज केविध्दमानो से बहुत ज्यादा ज्ञानी हुआकरते थे और उन लोगो में  व्यावहारिक,वहारिक के साथ ही सामान्य ज्ञान हुआकरता था/ और वो लोग बड़ी बड़ीव्यावसायिक संस्थाओ (इंस्टुटो ) से नहींपढ़े होते थे / वो लोग तो गुरुकुल याशासकीय पाठशाला में जहाँ पर ताड़पत्तीपर बैठते थी / आज कल के जैसे बड़ीबड़ी महाविधालयो और प्रोफेसनलसंस्थाओ जैसे नहीं थे / आज के बच्चो सेयदि उनकी तुलना की जाये तो गणित केजोड़ घटना को वो लोग मौखिक बता देतेहै और २१ सदी के बच्चे बिनाकैलकुलेटर के कुछ भी नहीं कर पाते /और व्यवहारिक ज्ञान की तो बात ही मतकरो / अब आप ही बताओ की कौनज्यादा पड़ा लिखा है वो या ये आज के? दोस्तों जो पहले के लोग पड़ते थे उन्हेंअपने जीवन में उतारते थे और आज केबच्चे कैसे पड़ते है हमें और आप कोबताने की जरूरत नहीं है / यदि उन सेपीछे सालो में पढ़े विषय से सम्बंधितकोई प्रश्न पूछ लिया तो मालूम है कीउत्तर क्या मिलेगा …? अपनी बात कोसमझने के लिए एक सच्ची घटना आपको बताता हूँ इससे आप समझ जायेंगेकी पढाई लिखे से ज्यादा अनुभव कामआता है और वो व्यक्ति भले ही दो क्लासही क्यों न पड़ा हो ? परन्तु उसका तजुर्बाआज कल के बड़े बड़े पीएचडी होल्डरसे भी ज्यादा है /   एक बड़े परिवार का लड़का विदेश सेउच्च तकनीकी पढाई लिखे करके अपनेदेश वापिस आया और उसने यहाँ परएक कारखाना लगाने का मन बनायाऔर घर वालो ने उसे लगाने की इजाजददे दी / काम शुरू हुआ सब कुछ बनाकरतैयार हो गया / विदेश मशीने भी आ गईऔर अब उन्हें फिटिंग करना था / उसमशीन फिट करने के दौरान एक बड़ीसमस्या आ गई / क्योकि मशीन एकभारी भरकम थी और उसे 30 फीट गहरेगढ्ढे के तल में उतार कर बैठना था / जोकी बहुत बड़ी चुनौती थी / अगर मशीनठीक से नहीं बैठाया गया तो फाउंडेशनऔर मशीन दोनों को बहुत नुकसानउठाना पड़ता। आपको बता दें कि ये वोसमय था जब बहुत भारी वजन उठानेवाली क्रेनें हर जगह उपलब्ध नहीं थीं /जो थीं वो अगर उठा भी लेतीं तो गहरेगढ्ढे में उतारना उनके बस की बात नहींथी। बड़े बड़े इंजीनियरों को देश और विदेशके बुलाया गया / परन्तु समस्या कासमाधान किसी के भी पास नहीं था /कुल मिलकर यदि देखा जाये तो साराका सारा पैसा और समय सब व्यर्थ जानेवाला सा लगाने लगा / एक दिन एक बनिया जो की नगर सेठ केयहाँ पर खाने पीने का सामान भेजता थातो वो पैसे लेने के लिए आया और देखाकी सेठ जी और उनका पुत्र जो कीविदेश से पढाई करके वापिस आया बहुतही परेशान है, तो बनिए ने पूछ लिया क्याबात है जी बहुत दुखी दिख रहे हो ? तबउन्होंने सारी बात बताई / बनिया बोलाक्या में देख सकता हूँ / मरता क्या नकरता , उन्होंने बनिए को प्लांट औरमशीन और वो गद्दा दिखा दी जहाँ परउस बड़ी मशीन को बैठना था / साथ हीसेठ के लड़के ने बनिए से कहाँ की चाचाजी ये किराने की दुकान नहीं है , जोआप समझकर समस्या को सुलझा दोगेहम बड़े बड़े इंजिनियर लोग हार गए हैऔर कुछ भी नहीं कर सकते तो आपक्या करोगे / बनिए ने सेठ जी से कहाँ क्या में एक बारप्रत्यन करू ? वैसे भी सभी ने हार मानली है तो ? पिता पुत्र दोनों कहाँ देखो /अब बात आई बनिए की तो उसनेइंजीनियरों से कुछ सवाल पूछे और उनलोगो ने सब के उत्तर दिए / अंत में एकबात और पूछी की क्या इस मशीन कोपानी से कुछ हानि या ख़राब हो सकतीहै ? तो सारी इंजीनियरों ने कहाँ नहीं /पानी से इस मशीन को कोई भी खतरानहीं है / तब तो बनिए ने कहाँ आपकाकाम में कर सकता हूँ परन्तु मेरी एकशर्त है की यहाँ पर कोई भी इंजिनियरऔर आप के साथ आपका पुत्र भी यहाँपर नहीं आएगा जब तक में काम खत्मन कर लू , कहते न की मरता क्या नहींकरता और बात मान ली  / सभी लोगोको बड़ा ही आश्चर्य हो रहा था की ये क्याकरेगा  / काम प्रारम्म किया बनिए ने वर्फकी फैक्टरी से  20-25 ट्रक में वर्फ कीसिल्ली को मंगवाया और उन्हें गढ्ढे मेंभरना शुरू कर दिया। जब बर्फ से पूरागढ्ढा भर गया तो उन्होंने मशीन कोखिसकाकर बर्फ की सिल्लियों के ऊपरलगा दिया। इसके बाद एक पोर्टेबलवाटर पंप चालू किया गया और गढ्ढे मेंपाइप डाल दिया जिससे कि पानी बाहरनिकाला जा सके / बर्फ पिघलती गयी,पानी बाहर निकाला जाता रहा, मशीननीचे जाने लगी। 4-5 घंटे में ही काम पूरा हो गया औरकुल खर्चा 1 लाख रुपये से भी कमआया मशीन एकदम अच्छे से फिट होगयी / अब बनिए ने सभी लोगो कोबुलावा भेजा की आपकी मशीन फिट होगई ही, आकर देख लो / सारे बड़े बड़ेइंजिनियर और टेक्नीशियन आये तोदेखकर एक दम से दंग रह गए / वास्तवमें बिज़नेस बड़ा ही रोचक विषय है / येएक कला है, जो व्यक्ति की सूझबूझ,चतुराई और व्यवहारिक समझ पर निर्भरकरता है। मुश्किल से मुश्किल समस्याओं का भीसरल समाधान खोजना ही एक अच्छेअनुभव वाले इंसान की पहचान है /बनिए ने साबित कर दिया की उच्चशिक्षा से कुछ नहीं होता , जब तक कीउसे व्यावहारिक ज्ञान न हो / अब आपही बताओ की श्रेष्ठ कौन है ? इसलिए अपने बड़े बूड़ो से ज्ञान लेनाचाहिए और उनके अनुभवों को अपनेजीवन में उतरना चाहिए। यदि आप उन्हेंआदर और सम्मान दोगे तो जीवन मेंकभी भी परेशानियां तुम्हे परेशान नहींकर सकती है / #संजय जैन परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में […]

मेरी शिक्षा मातृभाषा में हुई, इसलिए ऊँचा वैज्ञानिक बन सका – अब्दुल कलाम उच्च तकनीकी क्षेत्र जैसे उपग्रह निर्माण जिसे उच्च तकनीक कहा जाता जो बहुत कठिन एवं क्लिष्ट तकनीक होती है, उसमें आज तक कोई विदेशी कंपनी इस देश में नहीं आई | भारत जिसने १९९५ एक आर्यभट्ट नमक […]

आज विश्व-पर्यावरण दिवस है। आज का विश्व किसका बनाया हुआ है ? अमेरिका का। एक भौतिकवादी ओर उपभोगवादी अमेरिका का ! वह भारत को क्या सिखाएगा, पर्यावरण की रक्षा ! उस भारत को, जिसमें बच्चों को सिखाया जाता है कि सूर्यास्त के बाद फूल मत तोड़ लेना, क्योंकि पौधे मनुष्यों […]

वातानुकूलित कमरों में बैठ कर चिंतन – मनन करने वाले खाए – पीए और अघाए नेता के लिए लोगों की मुश्किलों को समझ पाना वैसा ही है मानो शीतल वादियों के आगोश में रहने वाला कोई शख्स तपते रेगिस्तान की फिक्र करे। ट्रेनों में आपात कोटे के आरक्षण के लिए […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।