अहंकार को एक दिन टूटना ही होता है। अहंकार की नियति ही टूटना है। इतिहास गवाह है कि किसी का भी अहंकार कभी ज़्यादा वक़्त तक नहीं रहा। इस अहंकार की वजह से बड़ी-बड़ी सल्तनतें नेस्तनाबूद हो गईं। किसी हुकूमत को बदलते हुए वक़्त नहीं लगता। बस देर होती है […]

आज मैं इटावा में हूं। उत्तरप्रदेश के इस शहर से मुझे बहुत प्रेम है, क्योंकि यही वह शहर है, जिसके दो स्वतंत्रता सेनानियों ने आज से 50-52 साल पहले मेरी बहुत जमकर मदद की थी। वे थे स्वर्गीय कमांडर अर्जुनसिंह जी भदौरिया और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सरलाजी भदौरिया। ये दोनों […]

विश्व के अधिकांश राष्ट्रों की कोई एक राष्ट्रभाषा है, भारत की नहीं। मजे की बात यह है कि भारत के अधिकांश लोगों को यह तथ्य पता नहीं है कि भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। जब हम लोगों से पूछते हैं कि भारत की राष्ट्रभाषा कौन सी है तो अच्छे […]

बात पहले की है । भारतीय मिथकीय पात्र और लेखिकाओं का नारी विमर्श में डूबा हुआ था। यूं मेरे पास, उससे भी बहुत पहले, अपने काव्य नाटक ’खण्ड खण्ड अग्नि’ के सिलसिले में वाल्मीकि रामायण के अग्नि परीक्षा-प्रसंग की सीता का अपने समय के लिहाज से सशक्त नारी विमर्श भी […]

सादर नमन मंच ! आज के दौर में साहित्य और साहित्यकारों का साख गिरता प्रतीत हो रहा है , कारण है कोई न पढ़ना चाहता है न सुनना और न ही समझने की जरुरत समझता है  । सोशल मीडिया और इंटरनेट के जमाने में हम फेक न्यूज़, उन्मादी वीडियो , […]

रवि एक बहुत ही समझदार व्यक्ति है और 40 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव पर काफी परिपक्व भी नजर आता है।एक बहुत ही व्यस्त सड़क पर अपनी धुन में रवि अपनी मंजिल की तरफ बढ़ा जा रहा था हमेशा की तरह उसकी कार की स्पीड वही 60-70 के बीच […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।