मैं छोटी-सी चिड़िया हूँ, चुन-चुन दाना खाती हूँ नदी का पानी पीती हूँ, घने पेड़ पर रहती हूँ। ऊंची उड़ान भरती हूँ, करती मीठी चूं-चूं हूँ अब न नदी,न पेड़ है खतरे में मेरा नीड़ है। अब न पानी,न छाया है, पेड़ों को काट के उजाड़ा है चारों […]
नहीं छोड़ पाया अपने खिलौने का मोह वो बालमन, छीना-झपटी करते रहे घण्टों एक-दूसरे के संग। नजर मेरी टकटकी लगाए देख रही थी उनके गुन, सहसा एक किनारे जा खड़ा हुआ वह शिशु खिलौने संग। माँ बुलाती रही बाबू आ जाओ, वह अनसुनी सी करता। मोह था उसे अपने खिलौने […]
उस दिन मैं सुबह सोकर उठी तो मैंने देखा कि मेरी बालकनी में एक चिड़िया चहचहा रही थी-चिरर..चिरर.. चिरर..। मैंने जाकर देखा तो वो नीले रंग की छोटी-सी चिड़िया थी, जिसके पंख पर सफेद रंग का डॉट था। मैं जल्दी दौड़ कर अंदर गई और कटोरी में पानी और दाना […]
क्यों अभी से खुद को यूँ संजीदा किया जाए, क्यूँ न फिर से अपने बचपन को जिया जाए.. चलो आज फिर एक गुड़िया का घर बनाएं, और सजाएँ उसे फिर नन्हें सपनों के साथ.. फिर से कराएं वो गुड़िया की शादी, वो नकली घोड़े,वो नकली हाथी.. वो नकली दूल्हा,वो नकली […]
खोया हुआ अपना, बचपन ढूंढता हूँ.. पचपन की बातें, नहीं लगती सयानी। अभिमानों में अकड़ी, जकड़ी जिंदगानी.. बंधनों में बंधी, रेत होती कहानी। वो चाँदी की थाली, मिटटी के ढेले.. ईमली के चिएं, नीम की निम्बोली। कागज के रॉकेट, पर ऊँची उड़ानें.. पतंगों के जोते, हवाओं की चालें। बस्ते का […]
आज न जाने क्यों रोने का मन कर रहा है, आँचल में माँ के सो जाने का मन कर रहा है। ये गुजरती ज़िन्दगी को अब, थम जाने का मन कर रहा हे। खबर लेने आए थे वो कभी,इसी उम्मीद में, आज फिर बेहाल होने का मन कर रहा है। […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।