rla sinh कई बार लोग सीरत से अधिक सूरत को महत्व देते हैं,व्यक्तित्व को विशेष रूप से महत्व देते हैं। अगर किसी के पास दोनों न हो तो,उसे धनाढ्य होना चाहिए, अन्यथा लोग इज्ज़त नहीं करते हैं।     ‘अरे लो ये पेपर,इस पर स्टैम्प….अरे ठप्पा लगा लो,ठप्पा-ठप्पा।’ प्रधानाचार्या जी […]

आज सीताराम चौकसे(सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर) की वृद्धाश्रम में मृत्यु हो गई थी। पूरा आश्रम शोकाकुल था,रिया फूट-फूटकर रोए जा रही थीl इसका दादाजी से कोई खून का रिश्ता नहीं था, सिर्फ एक संवेदना थी जो उसे इन बुजुर्गों के पास रोज खींच लाती थी,पर आज वह ऐसे रो रही थी जैसे […]

मोहन बाबू और रमेश बाबू गाँव के सबसे बड़े जमींदार कहलाते थे,जमींदारी प्रथा तो समाप्त हो गई थी लेकिन जिसकी ज्यादा जमीन होती थी, वो जमींदार ही कहलाते थे। दोनों में दोस्ती थी,एक दूसरे में अटूट प्रेम था । मोहन बाबू चार बेटियों के पिता थे, इसलिए उनको ये चिंता […]

बाबू दिलीप सिंह,रामू को पैसा देते वक्त  हिदायत देते हुए कहते हैं -‘रामू यह पैसा मैं तुम्हें ब्याज पर दे रहा हूँ। हमें हर माह की हर १० तारीख को १० हजार मूलधन का १००९ रुपए सूद प्रति माह की दर से मिल ही जाना चाहिए,हमें दुबारा न कहना पड़े।’ […]

चारपाई पर लेटी बुधिया साफ़-साफ़ देख रही है कि,अखबार बांचता दिन अब ऊंघने लगा है और दिन की लालिमा मानो रात की कालिमा में तेजी से समाती जा रही होl देखते-ही देखते अंधेरा तिर आता है…उसके आसपास और उसके अंदर भी,लगा जैसे कालिमा उसके जीवन का एक अभिन्न अंग बन […]

मेरे घर दूसरी पोती होने पर तमाम रिश्तेदार इकट्ठे हुए। तरह-तरह से बधाई देने लगे,जिसमें मुझे बधाई से ज्यादा सांत्वना का पुट लग रहा था। कुछ ने कहा-घर में लक्ष्मी आई है,कुछ ने कहा-बड़ी बहन की सहेली आई है,कुछ न कुछ कह-कहकर वे अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। मेरी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।