उतरता रंग

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 drushti

एक अमीर महिला मोहल्ले में बड़ी-बड़ी डींग हांकती रहती थी,कि  उसके पास पैसा हैl उसी मोहल्ले में गरीब व मध्यम परिवार के लोग भी रहते थेl किसी संस्था द्धारा महिला सभा आयोजित की गई,और सभी महिलाओं को आमंत्रित किया गयाl सभा शुरू होने से पहले अमीर महिला ने दिवाली के दिन महंगा बड़ा टीवी ख़रीदने की बात सभी महिलाओं को बताईl सभी उसकी बात को सुन रहे थेl बधाई देकर मिठाई खिलाने के लिए उनसे कह रहे थेl  वो अमीरी का बखान करती ही जा रही थीl सबसे कह रही थी कि, घर आकर महंगा टीवी देखनाl साथ ही साथ ये भी बता रही थी कि,मेरे अलावा किसी के पास इस तरह का महंगा और बड़ा टीवी मोहल्ले में नहीं हैl सवाल यहाँ खरीददारी का नहीं था,अमीर  महिला के अमीरी का घमंड कुछ ज्यादा ही रंग बता रहा थाl इसी बीच एक महिला ने गरीब महिला के बारे में बताया कि,इनके पतिदेव का टीवी पर किसी बड़ी प्रतियोगता के लिए चयन हुआ है ,उसका दीवाली के दिन प्रसारण होगाl साथ ही इस महिला के बच्चे का भी डांस प्रतियोगिता में चयन हुआ है,उसका भी प्रसारण इसी दिन होगा,एवं पुनः प्रसारण दूसरे दिन भी होगाl सभी महिलाएं उस अमीर महिला के घर बड़ा और महंगा टीवी देखने के लिए गईl जैसे ही कार्यक्रम शुरू हुआ,उस समय गरीब महिला ख़ुशी और उत्साह से मानो अमीर बन गईl सब महिलाएं तारीफ करके बधाइयाँ देने लगीl जहाँ पर टीवी की तारीफ होना थी,वहां पर गरीब महिला-बच्चे की तारीफ होने लगीl इससे अमीर महिला के चेहरे पर अमीरी के घमंड का रंग देखते=देखते उतरता चला गयाl उसे तब समझ में आया कि,पैसा ही सब कुछ नहीं होताl  कला,कौशल,श्रम भी इस दुनिया में काफी दम रखते हैंl  

                                                                  #संजय वर्मा ‘दृष्टि’

परिचय : संजय वर्मा ‘दॄष्टि’ धार जिले के मनावर(म.प्र.) में रहते हैं और जल संसाधन विभाग में कार्यरत हैं।आपका जन्म उज्जैन में 1962 में हुआ है। आपने आईटीआई की शिक्षा उज्जैन से ली है। आपके प्रकाशन विवरण की बात करें तो प्रकाशन देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रचनाओं का प्रकाशन होता है। इनकी प्रकाशित काव्य कृति में ‘दरवाजे पर दस्तक’ के साथ ही ‘खट्टे-मीठे रिश्ते’ उपन्यास है। कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता की है। आपको भारत की ओर से सम्मान-2015 मिला है तो अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी सम्मानित हो चुके हैं। शब्द प्रवाह (उज्जैन), यशधारा (धार), लघुकथा संस्था (जबलपुर) में उप संपादक के रुप में संस्थाओं से सम्बद्धता भी है।आकाशवाणी इंदौर पर काव्य पाठ के साथ ही मनावर में भी काव्य पाठ करते रहे हैं।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।