नीर धीर दोनो के मिलन थे, राधा संग कान्हा परिहासे। था समय एक,ये कथा बने, लगते ज्यों कोरे गप्पे झाँसे। मन की प्यास शमन करते, वे पनघट अब सूने प्यासे हैं। मन की आशा, चुहल वार्ता, के सब ठीये स्वयं उदासे हैं। वे नारी वार्ता स्थल थे जहाँ, रमणी को […]
काव्यभाषा
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नजर-नजर की अदा कमाल सी झुकी-झुकी घटा कमाल सी। नजर-नजर की मिसाल तारीफ-दर-तारीफ वेमिसाल। नजर-नजर की बातें लगती है सुहानी-सुहानी रातें नजर-नजर की मुलाकातें सताती-सताती है दिन-रातें। नजर -नजर की झुंझलाहट चढा-बढा रही है कड़वाहट। नजर-नजर की वफा मिलकर-मिटाती है दूरियाँ नजर-नजर की प्रभा लेती-देती है दुआ नजर-नजर की सौगातें […]