झुलस के रह गई है हर एक ख्वाहिश मेरी। गर्म मौसम की इन गर्म हवाओं में। अजीब वो शख्स भरोसा न कर सका मुझ पर। कमी ही ढूँढता रहा मेरी वफाओं में। सबूत माँगने बालों को कुछ नहीं मिलता। झाँककर देखते नहीं क्यों निगाहों में। किसको रहना है दुनिया में […]
काव्यभाषा
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