जमाने के कई रंग देखे हैं हमने, कभी तपती धूप,कभी बारिश में उजाले देखे हैं हमने। जो इंसा सब कुछ खोने को तैयार है हमारे लिए, उसी के काले निवाले देखें हैं हमने। जब से होश संभाला है,धरती पर रेंगता है इंसान, उसी इंसान को उड़ती हवाओं में देखा है […]

नौ माह कोख में,पाला था, दिया अपना उसे,निवाला था। जब गई, इस दुनिया से, कोई न,देखने वाला था॥ उस बेचारी,माता की, क़िस्मत ही जैसे,फूट गई… ‘आशा’ की आशा,छूट गई॥ दर्द में कराहती,वो माता, कोई बचाने,क्यों आता। गैरों की क्या,बात करें, भूला वो जिससे,था नाता॥ दसवें माले में,कब जाने, साँसें भी […]

ये कैसी मानवता जिसमें मुझे बाहर बैठाकर पढ़ाया गया, ये कैसी मानवता जिसमें नौकरी जाने पर कालीन उठाया गया.. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक बताने वालों, ये बताओ महाड़ का पानी पीने पर पत्थर क्यूं बरसाया गया। पत्थर क्यूं बरसाया गया,क्या मैं सचमुच अपवित्र था, जानवर पिए भले […]

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हम सबको मिलकर अब,काम ये करना होगा, स्वप्न जो थे वीरों के,उन्हें पूरा करना होगा। हो गए जो धूमिल यहां रिश्तें अंधकारों से, उन रिश्तों को फिर प्रकाशित करना होगा॥ लूट ले गए जो भारत की धन दौलत को, उनको एक बार फिर धनी हो के दिखाना होगा। आ रहे […]

कोई हसरत ना रही,कोई आरज़ू ना रही, दिल ऐसा तोड़ा है,अब कोई जुस्तज़ू ना रही। कितने वादे किए थे,साथ जीने-मरने के, क्या हसीं बातें थी,अब वो भी तो मौज़ू ना रही॥                                       […]

आयो सावन को तेवार,मन में हरस अपार आँगन झूला पड़ी गया,बेटी बेगी आवजे l  माता करे मनवार,पिता देखे डेली द्वार, भाई करे इंतजार,बेटी बेगी आवजे l  बेन्या हंसी खुसी नाचे,भावज लाई पेरवास, सखिया आई दिन चार,बेटी जल्दी बेगी आवजे l  तू तो आँगन को सिणगार,माँ की गोदी को दुलार, थारा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।