हर असंभव को संभव बनाती माँ साधारण रूप-रंग में चमचमाती माँ भयानक वर्षा में छतरी बनती माँ कड़ी धूप में बादल का टुकड़ा बनती माँ दु:ख सागर में सुख पतवार बनती माँ अंधेरे में आस की लौ बनती माँ भीड़ भरी राह में संकेतक अंगुली बनती माँ निवड़ अकेलेपन में […]
काव्यभाषा
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