वक्त कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला, मिट्टी के घरोंदे के बंटवारे की लड़ाई में कब घर को बांट लिया पता ही नहीं चला, पगडंडी पर चलते चलते न जाने कब छः लेन सड़क पर पहुंच गए पता ही नहीं चला दादा के कंधे पर चढ़ हटखेलियां करते करते […]
देश की प्रसिद्ध रिकार्ड पत्रिका ‘ महाराष्ट्र बुक ऑफ रिकार्ड्स ‘ में शा उत्कृष्ट उ मा वि आगर के शिक्षक डाॅ दशरथ मसानिया के नाम शैक्षणिक नवाचार के 6 रिकार्ड दर्ज किये गये है। इस उपलब्धि पर पत्रिका ने इन्हें विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया है। जो ISSN no.23490446 पृष्ठ […]
आग कहां की तन की मन की जंगल की समुद्र की महत्वपूर्ण जलने न दिया जाए भड़क न पाए। कभी राजनीति की कहीं स्वार्थ की पदलोलुपता की पर- यह शिष्टाचार का सफर भ्रष्टाचार तक ही इसीलिए गम्भीर न गम्भीर तो है पेट की भूख की आग जो क्या न करा […]
‘सुन-ए-मगरूर तकब्बुर नहीं अच्छा होता क्योंकि हर वक्त मुकद्दर नहीं अच्छा होता’इस पंक्ति के रचनाकार है पंडित प्रेमचंद सन्ड ,जो रुड़की के पहले ज्ञात साहित्यकार माने जाते है।उनके बाद पंडित कीर्ति प्रसाद शुक्ल ने लिखा,’परेशानियां जो न होती जहां में ,किसी से खुदा की इबादत न होती’,रुड़की के केंद्रीय भवन […]
नदियाँ, नहरें, पोखर सब, अक्षय संसाधन जल के हैं। अमृत का है रूप धरा पर, जल सारे जीवों का जीवन है। जल संसाधन हम सबकी, हरपल प्यास बुझाते हैं। धरती माता के आँचल को, सदा हरा भरा बनाते हैं। बिजली का हो उत्पादन , या हो मछली का पालन । […]
लाकडाउन या कर्फ्यू से पीड़ित हमारे शहर कस्वों के लोगो पर, जिनकी कमाई पर एक बार पुनः मार पड़ने वाली है ,क्योंकि कोरोना ने अपने पैर फैलाने शूरू कर दिए हैं।कुछ राज्यो की स्थिति विचलित करने वाली हो गयी है।महाराष्ट्र,छत्तीसगढ, पंजाब मध्यप्रदेश, दिल्ली,गुजरात आदि राज्यों के आंकड़े वेचैन कर रही […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।