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कुछ तार सुरों के बहके हैं, मतवारे पंछी चहके हैं। दिनमान में भी अब दीप जले, रात में अब दिनकर चमके। मन सुन्दर वन-सा घना-घना, लिपटा भावों से हर तरु तना। वन जीवों-सी चंचल अभिलाषा, नहीं निर्धारित कोई इनका बासा। सब अपनी ही धुन में लहके हैं, कुछ तार सुरों […]

सूरज गोल—–चंदा गोल। आओ देखें क्या-क्या गोल॥ सुबह-सुबह हम चाय पीते चाय की वह प्याली गोल, भूख लगे तो भोजन करते भोजन की वह थाली गोल, सूरज गोल—–चंदा गोल। आओ देखें क्या-क्या गोल॥ थाली में जो पहले आती वह प्यारी-प्यारी रोटी गोल, शाम हुई तो खेलें हम खेल कांच की […]

खाए-पिए लोगों को सूझती है धींगामस्ती,सैर-सपाटा, नाच-गाना,हंसना-खिलखिलाना और अपनी मस्ती में मस्त हो जाना। दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालने वाला शख्स, थक-हारकर जब शाम को घर लौटता है तो ६×८ की सीलनभरी जर्जर झोपड़ी में, लिपटी फटेहाल जिन्दगी ही किसी स्वर्ग से कम नजर नहीं आती है। नसीब सबका अपना-अपना […]

(बाल दिवस विशॆष) नटखट बच्चे,चंचल बच्चे, लगते हैं सबको अच्छे बच्चे। न हो शोषण,न हो अन्याय इन पर, क्योंकि,ये ही हैं भारत का खिलता कमल। चाचा-मामा के चहेतों के संग चल, आओ बनाएं उज्जवल भारत का कल। अगर दिखें ये मजदूरी करते,भीख माँगते, चाय बनाते,कचरा बीनते,इनको रोकें। हम दस्तक अभियान […]

एक रुमाल ने किसी का मन मोह लिया, आपस मे दो युवा टकराए। दोनों को ये क्या हो गया, एक लड़की का रुमाल राह चलते अचानक गिर गया। हमदर्दी के नाते एक युवा ने रुमाल उठाया, इत्तफाक से लड़की भी रुमाल उठाने झुकी। दोनों आपस में टकराए, नजरें मिली,शर्माए। बातें […]

उम्र के जिस पड़ाव का अहसास होता था, उस उम्र को पार कर चुकी हूँ मैं… लगता है थोड़ा बदल चुकी हूँ मैं। जिन रिश्तों से आघात पहुँचा था, उनको अनदेखा करने लगी हूँ मैं… लगता है थोड़ा बदल चुकी हूँ मैं। जिन सखियों का पता खो चुकी थी, उन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।