एकाएक हमारा राष्ट्र जैसे बिलकुल अनाथ-सा हो गया है। न कोई माँ,न बाप,न भाई,न बहन। न कोई खुशी,न गम। न कोई काम,न आराम। हिंदुओं-मुसलमानों-सिक्खों-ईसाइयों की भीड़ में बिलकुल अकेला। ब्राह्मणों,क्षत्रियों,वैश्यों और शूद्रों से खचाखच भरे होने के बाद भी एक-एक भारतीय के लिए तरसता, बिल्कुल तन्हा-सा हो गया है। आजकल जैसे […]