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सगर हृदय इच्छा जागी मैं चक्रवर्ती सम्राट बनूं, अश्वमेध यज्ञ मैं करवाकर,कुल और वंश जयवंत करूं। साठ हजार पुत्र मेरे,भला मुझको कौन हराएगा, अश्वमेध का घोड़ा मेरी,विजय ध्वजा फहराएगाll सिंहासन जब हिला इंद्र का सगर की पूजा मंत्रों से, ऋषि कुटी में बांधा अश्व को,इंद्र ने अपने तंत्रों से। देख […]

इन्दौर। लेखन परंपरावादी नहीं होना चाहिए,वरन मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। सतीश दुबे जी का लेखन मानवतावाद पर आधारित रहा है,क्योंकि वो कभी किसी अंधी दौड़ में शामिल नहीं हुए। यह बात मुख्य अतिथि डॉ.कृष्णा अग्निहोत्री ने कही। अवसर था सृजन संवाद और श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा लघुकथा के […]

हमारी ही तरह तुम भी मरोगे, चिता की आग में तुम भी जलोगे। किसी के वास्ते कांटे न बोओ, इसी चकरोड पर तुम भी चलोगे। उसी दिन से तुम्हारी कद्र होगी, तुम अपनी बात जिस दिन कह सकोगे। जमाने में दया पाने के डर से, किसी के पांव तुम कब […]

क्या राष्ट्रवाद की अधिकता साम्राज्यवाद, फांसीवाद में परिणित हो जाती है ? जी हाँ,राष्ट्रवाद की अधिकता का परिणाम भी साम्राज्यवाद,फांसीवाद में देखा जा सकता है। जब कोई राष्ट्र,राष्ट्र निवासी अपनी सांस्कृतिक,ऐतिहासिक परम्परा में ग्रस्त होकर मोहान्ध हो जाता है,तब ऐसी स्थिति को देखा जा सकता है। एक राष्ट्र, निर्वासित जाति […]

कलम कनक की भले नहीं है, अक्षर असर तो फिर भी करेंगे। कागज करार भले ही करे न, मसि कसी तो सब सार सरेंगे। पटल रजत जो कभी मिला तो, पीड़ा तृण कण्टकों की हरेंगें। उम्मीदों के पंख भले कोमल हो , लेखन से नभ परवाज उड़ेंगे। एक से मिल […]

भाव रूठे,गीत फिर कैसे सुनाऊँ, तार बिखरे वीणा के कैसे बजाऊँ। बाँध पाया कौन मन को, थाह पाया कौन मन को आह में डूबी व्यथा को, कैसे बताऊँ। भाव रुठे गीत…॥ नयन गीले प्राण रीते, विवशता में अधर सीते और कब तक हृदय को, धीरज बंधाऊँ। भाव रुठे गीत…॥ शून्यता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।