एक पत्नी ने अपने पति से आग्रह किया / कि वह उसकी छह कमियाँ बताए ? जिन्हें सुधारने से वह बेहतर पत्नी बन जाए / पति यह सुनकर हैरान रह गया / और असमंजस की स्थिति में पड़ गया  ? सोचा कि मैं बड़ी आसानी से / उसकी ६ बातों […]

भारतीय रेल हमारे आवागमन का आधार स्तंभ है। इसके बिना जीवन की परिक्रमा अधूरी रहती क्योंकि इस धूरी से उस धूरी की दूरी तय करने में लौहपथगामिनी का कोई शानी नहीं है। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक फैले भारत वर्ष को हमारी रेल ने एक बना के […]

ईमान धर्म सब भूल गए कुर्सी रही बस याद जैसे भी हो कुर्सी मिले चाहे देश हो जाये बर्बाद संविधान ने दिया है जिनको महामहिम का ओहदा वे ही पक्षपाती हो गए कर रहे सत्ता का सौदा गोवा,मेघालय,मणिपुर मे चला गठबंधन का जादू कर्नाटक मे गठबंधन गलत बोल रहे गवर्नर […]

सोचते भी हो हमे एक पल के लिए कभी भूलते ही नही हम तुम्हे एक पल के लिए भी। कि न खुद से भी कभी जो हमने  मोहोबत तुम्ही को बेहिसाब भेजते है।  शिद्दत से पाला थाजिंदगी को  सांसो का अपनी अपनी हिसाब भेजते हैं। समझोगे दिल की बेचेनिया शायद […]

रास्ते सूने – वीरान पड़े हैं ,     प्यार की मंज़िल मिलती नहीं ।   दिख़ते हैं इस भीड़ में सब,        एक बस तू ही दिख़ती नहीं ।।  जिस्म तो हरक़त में है पर,        सांसें हैं जो चलती नहीं ।   रोज़ मिलन […]

अंगारों सी तपती सड़कों पर, जब  डंपर दौड़ लगाते हैं, मानों जैसे सौदागर जानों पर, मौत की होड़ लगाते हैं, देती नगद हवाला मृत्यु चलते फिरते जीवन का मोलभाव फिर कहां से होगा रफ्तार में छिनते जीवन का एक काम करो ऐ सौदागर, कुछ सड़क किनारे गुमटी खोलो कुछ साज […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।