भावना के रंगों से  बनी मेरे इश्क की   तस्वीर हो तुम, देखा जिसको पूरी रात वो हसीन ख़्वाब हो तुम, गाते हैं  गुनगुनाते हैं  जिसको तेरे साथ मेरे इश्क़ को बयां   करती आवाज़ हो तुम, मेरे इश्क की   तस्वीर हो तुम. तेरी नज़रों में दिखता सदा मेरे लिए  प्यार, डर भी था हमें ज़माने का फिर भी […]

वर्त्तमान को छोड़कर, भविष्य के बारे में सोचा / और हंसती हुई जिंदगी को, बिना खुशियों के यू ही गमाया  / और सजा सजाया वर्तमान को I भविष्य और बुढ़ापे के नाम पर, यू ही गमाया /1I ज़िन्दगी से लम्हे चुरा कर, बटुए मे रखता रहा I फुरसत से खर्च […]

जब भी अवसर मिले करों प्रभु को याद व्यर्थ का चिंतन खत्म हो सद्चिन्तन हो आज चिंताविहींन जीवन बने स्थिर मन और दिमाग रुग्ण कोई निकट न आए सफल हो हर काज तन के लिए व्ययाम करे मन के लिए हो ध्यान जीवन धन्य हो जायेगा मिल जायेगा जब परमात्म […]

एक महिला दरोगा बहुत व्यथित थी। एक फोन उसे दिन -रात परेशान कर रहा था। किसी तरह फोन करने वाले का पता किया। फिर दल- बल से उसे थाने उठा लायी। उनकी सेवा- पानी हुई। उसके घर वाले कह रहे थे, मानसिक रूप यह बीमार है, दरोगा कह रही थी, […]

 जयपुर| विशुद्ध स्वर्णिम संयम दीक्षा महोत्सव राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रचार प्रमुख व  मातृभाषा उन्नयन संस्थान राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष श्री रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ जयपुर  को  साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सृजन व समाज सेवा में उल्लेखनीय योगदान हेतु हरियाणा की साहित्यिक संस्था विलक्षणा एक सार्थक पहल समिति (रजि 02314) द्वारा […]

रिवाज़ सा हो गया है आजकल बात- बेबात पर नाराज रहने का। यह नाराजगी होती है , कभी अच्छी तो कभी देती है पीड़ा अधिक पर मैं इसे हमेशा सुखद ही मानता हूँ । चलता है इससे मन में रूठने और मनाने का द्वंद जो उपजाता है -अंततः करुणा परिणित […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।