हम उस धरती पर जन्मे हैं, हुए जहाँ तेजाजी हैं, गौ माता को बचाने वाले,ददरेवा के गोगाजी हैं। बैलों की पूजा करवा दे,लोक अजर हरबुजी हैं, शरणागतों की रक्षा करते,कोलू में पाबूजी हैं। जब-जब दुग्ध दिया है तुमको,गौ माता कहलाई है, क्या है अपराध मात का जो,काटे आज कसाई है। […]

देश का मान और शान है,भारत की बेटियां, घर की रौनक और जान है,भारत की बेटियां। जमीं पर चलाती है ट्रक, रिक्शे और रेलगाड़ियां, आसमां पे उड़ा रही विमान,भारत की बेटियां। नेहा,कृष्णा,सानिया और भी अनगिनत, खेल-जगत की पहचान है,भारत की बेटियाँ। जीजा,देवकी,कौशल्या,यशोदा और माँ मदालसा, ममता की गहरी खान है,भारत […]

ये कैसी मानवता जिसमें मुझे बाहर बैठाकर पढ़ाया गया, ये कैसी मानवता जिसमें नौकरी जाने पर कालीन उठाया गया.. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक बताने वालों, ये बताओ महाड़ का पानी पीने पर पत्थर क्यूं बरसाया गया। पत्थर क्यूं बरसाया गया,क्या मैं सचमुच अपवित्र था, जानवर पिए भले […]

जग तरा दे वो नाव है बेटी, पिता की प्यारी चाव है बेटी.. मत पड़ने दो छाया दरिंदों की, क्योंकि पेड़ों-सी छांव है बेटी। बहती नदी का कुल है बेटी, बड़े बरगदों का मूल है बेटी.. क्यों तोड़ते हो मासूम कली को, आँगन का खिला फूल है बेटी। लक्ष्मी-सी करामात […]

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अपने ही घर में सेना से,पत्थर वाले ऐंठे हैं। सुकमा में नक्सली जवानों की लाशों पे बैठे हैं। जाने किस नशे में खो गए,ये नेता गद्दी वाले। प्रवक्ता  इस तरह बनते हैं,जैसे हों रद्दी वाले। सुकमा में शहीद हुए जो,किसी बहन के भाई थे। अपने ही मात-पिता की वो,ज़िन्दगी की […]

शर्म न आती तुमको, सेना पर पत्थर बरसाते हो। जिस थाली में खाते छेद,उस में ही कर जाते हो।। भारत माँ के आँचल में,दुःख जब-जब भी सोता है। जब-जब जुल्म लाल पे होता,माँ का भी दिल रोता है।। कहते हो कश्मीर हमारा,फिर कैसी लाचारी है। मैं सैनिक हूँ भारत माँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।