खेलने खाने दो उनको, टहल कर आने दो उनको; ज़रा गुम जाने दो उनको, ढूँढ ख़ुद आने दो उनको। नहीं कोई कहीं जाता, बना इस विश्व में रहता; रमा स्वार्थ कभी रहता, तभी परमार्थ चख पाता। प्रयोगी प्रभु उसे करते, जगत विच स्वयं ले जाते; हनन संस्कार करवाते, ध्यान तब […]