पर नारी की उम्र देख नर रिश्ते गढ़ते। माता,बहना या कि बेटियाँ प्राय: कहते॥ साली-जीजा रूप बहन-भाई के जैसे। देवर-भाभी लगें पुत्र- माता हों ऐसे॥ परियों में भी मातृ रूप के दर्शन मिलते। कहाँ गया आधार कि सारे रिश्ते हिलते॥ रिश्तों को फिर लीक वही अपनाना होगा। अवध न जाए […]