भीगी आंखें , भीगी रातें धुंधली यादें, बिसरी बातें बाबूजी के हाथ पली थी आंगन की वो शाख हरी थी अखबारों के संग बैठक में चर्चा करते बाबूजी और कभी हाथों से आंगन सींचा करते बाबूजी गीला आंगन, गीली रातें धुंधली यादें, बिसरी बातें कपड़े धोकर छत के अम्मा चक्कर […]

आज ऊपरी मंज़िल से गिरने वाली, मृत्यु के आगोश में समाने वाली, उस दुर्भाग्या का पोस्टमार्टम है। कोई कह रहा है हत्या है, कोई आत्महत्या? उस दुर्भाग्या की रूह शरीर के आसपास ही घूम रही थी। ख़ामोशी से सोच रही थी, काश! कोई ऐसा कानून होता जो मेरे मन का […]

आज़ाद कहने लगे ख़ुद को, ख़ुद को मान बैठे हैं हम आज़ाद। पर किससे मिली आज़ादी हमको? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है। न हमें धार्मिक उन्माद से आज़ादी मिली, न धर्म पालने की आज़ादी मिली, न भूखे बच्चे रोना बन्द हुए, न सड़कों पर भिक्षा माँगती स्त्री हटीं, न […]

अखंड विश्व समा जाऐ एक शब्द गुरु में, संपूर्ण देवता समा जाऐ एक शब्द गुरु में। किसे करूं नमन प्रथम ईश्वर या गुरु को , ईश्वर का मार्ग दिखाए ,प्रथम प्रणाम गुरु को । राह में खड़क सौ पथ संचालित करे गुरु ही , अथाह समुद्र , नैया पार लगाऐ […]

बहती हुई नर्मदा की धारा, नदी तट के घाट, गाँव के मन्दिर और मोहल्ले, और न जाने क्या-क्या! अरे! घुमावदार रास्ते और गाँव की पगडंडियाँ, उनमें एक चढ़ाव-उतार वाली गली। गाँव में प्रेम से चाय पिलाते लोग, अमाड़ी की भाजी और रोटी ज्वार की, मीठी गट चाय और पाती मनुहार […]

जो ढोलक बजती-बजती काँपती है। किसी बेजां की चमड़ी काँपती है।। किसी अपने से बिछड़े थे यहीं पर, इसी रस्ते पे गाड़ी काँपती है।। वो जिस दिन भूल कर आती है स्वेटर, ज़मीं सारी की सारी काँपती है। बिछड़ने का हुआ था ज़िक्र जिसमें, अभी तक भी वो चिट्ठी काँपती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।