अमरनाथ में शिव भक्तों पर कहर तोड़ने वालों। धर्म  आस्था  में हिंसा  का जहर  घोलने वालों। कायर हो तुम श्वान वंश के लानत तेरी हरकत पर। कायरता  भी  शर्मसार  है  तेरी  गंदी फितरत  पर। शिवभक्तों का लहू पुकारे अब तो जागो मोदी जी। निंदा नहीं मिसाइल अपनी अब तो दागो […]

मैंने…कब चाही अपने प्रेम की विलक्षण परिभाषा…। कब की…तुमसे मिलन की आशा..। मैंने कब चाहा तुम्हारे, मखमली आलिंगन का अधिकार ..। मैंने..कब चाहा तुमसे, चिर मिलन,समर्पण,या प्यार …। मेरे प्रेम को, नहीं चाहिए, शरीर का आकार…। यौवन का ..,ज्वार…। देह का ….चंदन …। शिराओं का…स्पंदन..। मैं तो प्यासा हूँ, उन्मुक्त […]

(भगवान बुद्ध के अवतरण दिवस पर सादर समर्पित ) सत्य अहिंसा परमोधर्म:, …की बढ़ अलख जगाई। सदकर्मों से मुक्ति मार्ग की, …राह परख दिखलाई। राज मोह को त्याग विश्व को, …दया धर्म सिखलाकर। बुद्ध प्रभू ने ..सदाचार की… धूनी निरख जमाई।।                   […]

हे मृतुंजय,हे महाकाल,हे विश्वनाथ शत-शत प्रणाम, हे करुणाकर,हे डमरुधर शिव त्राहिमाम, शिव त्राहिमाम। संकट के बादल घिरे आज,पथ पर घनघोर अँधेरा है, जीवन साथी के प्राणों पर,चल रहा राहु का फेरा है। माना मैं अधम निरापापी,अपराधी नाथ तुम्हारा ह्ँ, भौतिक लिप्सा में डूब प्रभु मैं कर्म चक्र का मारा हूँ। […]

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मैं भी जीना चाहता हूँ… शामिल होना चाहता हूँ तुम्हारी दुनियाँ में बिलकुल वैसे ही… जैसे शामिल हुए थे तुम मेरे जीवन में एक जीवन्त आशा लिए। मेरे सूखे अधरों पर, बारिश की फुहार बनकर.. मेरी सांसों की रफ़्तार बनकर, एक खुशनुमा एहसास लेकर समाए थे तुम हमाररे अरमान बनकर। […]

नव संवत-नव भाव दे..नवदुर्गे नव शक्ति, नव रात्री की नौ निशा ..देंवे नवधा भक्ति। देवें नवधा भक्ति..राम सों नेह बढ़ाओ, निखरे शुचित चरित्र..दर्श नवमीं के पाओ। कह अनुपम आलोक..बैठ विद्वत की संगत, खुशियाँ मिलें अनंत..लाभ-शुभ दे नवसंवत।                           […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।