एकाकी जीवन शैली से हावी हो रहा अवसाद परिवार के रिश्ते दरक रहे नही दे रहा कोई अपना साथ मन ही मन घुटन बढ़ रही रिश्तो के बीच दूरी बढ़ रही भौतिकता के बढ़ते युग मे रूहानियत की विदाई हो रही निन्न्यानव के बढ़ते फेर में स्वयं से ही बात […]

जब जब स्वयं में , ‘मैं’ आ जाता विवेक स्वतः  हर लिया जाता देह अभिमान सिर चढ़ जाता अच्छा -बुरा समझ नही आता मिथ्या सोच ‘मैं ‘हो जाती करता तो ईश्वर है यह समझ नही आती ‘मैं’ ही प्रगति का अवरोधक बनती स्वयं के विनाश का कारण बन जाती अगर […]

बढ़ती गर्मी के मौसम में तपते घर और आंगन में पशु- पक्षी का ध्यान रहे  जीव कोई प्यासा न रहे दाना पानी इन्हें खिलाओ बढ़ती गर्मी से इन्हें बचाओ प्रकृति के ये भी अंग है मनुष्य के हितचिंतक है पेट भरने का इनको भी हक़ है आपके ये रक्षा कवच […]

एक जमाना था जब दूरदर्शन और रेडियो पर किसी राष्ट्रीय पर्व या फिर किसी बड़े संकट की स्तिथि में देश के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम अपना सम्बोधन देते थे,जिसके अगले दिन प्रिंट मीडिया में भी प्रमुख जगह मिलती थी।लेकिन सामान्य दिनों में उक्त पदों पर आसीन महानुभाव की […]

मानव जीवन के लिए ईश्वर का करें आभार सर्वश्रेष्ठ मानव योनि बुद्धि, विवेक,कर्म आधार मानव जीवन को श्रेष्ठ बनाये सद्कर्म,सदविचार अपनाये व्यर्थ भाव न आने पाये ईर्ष्या, द्वेष जड़ से मिट जाए मानव जीवन एक नाट्य रंगमंच भूमिका अपनी निभाते सब रंग निर्देशक ईश्वर हमे नांच नचाता जैसा वह चाहे […]

श्रद्धांजलि…. 1949 में जन्मे प्रदीप चौबे के बिना हर हास्य महफिल अधूरी थी। आखिरी बार होली के समय कपिल शर्मा शो के जरिए वो सार्वजनिक मंच पर दिखे थे।उनके करीबी कहते हैं कि वो जितना लोगों को हंसाते थे, उतना ही अपने अंदर के दु:खों को छुपाए रहते थे।उन्हें गॉल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।