मैं गीत विरह के गाता हूं… अधरों से जब-जब अधर मिले, मैं मंद-मंद मुस्काता हूं। मैं गीत…ll जहां शीतल हृदय,है तपन वहीं, है मिलन जहां,बिछड़न भी वहीं। तब प्रणय गीत का मर्म समझ मैं, गीत विरह के गाता हूंl मैं गीत…ll सावन आता,वर्षा आती, बादल से बूंदें लुट जाती। शाम […]

अब दिसम्बर भी जाने लगा है, गीत विरह के  गाने लगा है। सहेजा था इसको मैंने दिल में, पर ये मीत दूजा बनाने लगा है। कोई शिकवा नहीं इससे मुझको, रीत दुनिया की है ये पुरानी। है मुसाफिर इनसान जग का, जिंदगी है यहां आनी-जानी। प्यार,उल्फत सभी अच्छे लफ्ज हैं, […]

बढ़ रही है ठंड यहां, सर्दी जब से आई। शीतल हुई है हवा, नहीं धूप में गरमाईll  सूरज के उगने पर, अब सुबह भी कुमुनाई। स्वेटर और चादर संग, सब खींचें रजाईl  बढ़ गई है…ll    जल्दी ढलती है शाम, और रातें हैं लंबी। अंगीठी और बोरसी ले, दुबके हैं […]

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दिल मेरा,पर इसमें, धड़कती हैं धड़कनें तुम्हारी। सांसें मेरी, पर चलती हैं सिर्फ तुम्हारे लिए। होंठ मेरे,पर मुस्कुरातें हैं, तुम्हें देखकर। और मेरी आँखें ? उसमें भी तो तुम्हारे ही सपने पलते हैं…! कई बार कोशिश की, पर समझ नहीं पाया,  ‘मैं’ तुम हूं,या ‘तुम’ मैं ? क्या तुम समझ […]

दिल की बातें पढ़ लेता हूं,  सुंदर मूरत गढ़ लेता हूं  तुम भी मुझसे मिल कर देखो, बिन पंखों मैं उड़ लेता हूं। बात दुखों की मत कुछ करना, दिल की आहें दिल में भरना कौन सुनेगा इस जंगल में, मेरा रोना,तेरा हंसना ? कोई नहीं है,मेरा-तेरा, सब है एक […]

वह रोज जी उठता है,पुनर्नवा की तरह। जी उठना उसकी विवशता है, क्योंकि सहज मिल जाती है, हवा,बारिश,धूप और पानी भी कभी-कभी। फिर वह पनपता,फुनगता और बढ़ता ही चला जाता है। पर इतना भी सहज नहीं है बढ़ना! इस बीच कई बार पददलित होता, रौंदा जाता हजारों बार,पांवों तले, फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।