मेरे मोहल्ले में झूठ का बाज़ार आ गया है दरवाज़ा खोलके देखो,अखबार आ गया है जिन नन्हीं हथेलियों को खिलौनें चाहिए थीं उन हाथों में खतरनाक औज़ार आ गया है इंसाँ सब बँट गए हिन्दू और मुस्लिम में धर्म के ठीकेदारों को कारोबार आ गया है पूँजीपतियों की नींदें हराम […]