एक सूरज बाहर, आग उगल रहा है.. दूसरा सूरज मेरे, अन्दर जल रहा है। मेरे अन्दर सुलग रहे, सवाल चैत्र,वैशाख और जेठ में तपने वाले सूरज, के तीक्ष्ण तेवर से भी तल्ख हैं। वे बार-बार मुझे झकझोरते, हैं कि एक ही मुल्क के बाशिंदे.. होकर भी लोगों के बीच, असमानता […]
joshi
संसार अगर एक रंगमंच है, तो हां, मैं उसका एक पात्र.. मुखौटा,चरित्र,किरदार,अभिनय और भूमिका हूँ। बचपन,जवानी,वृद्धावस्था, के पड़ावों से गुजरती जिन्दगी.. के बीच मैं कब पुत्र से पिता, दादा,नाना,मामा और चाचा.. बन जाता हूँ, कुछ पता ही नहीं चलता। पात्रों की जरूरत के हिसाब से, भूमिकाओं को निभाते-निभाते.. मैं अपने […]
‘अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस विशेष’ अंतर्मन की, अभिव्यक्ति है मनोभावों की, सार्थक नियति है कविता। हर्ष विषाद, सबको उकेरे कविता.. हर लम्हे, को जीवंत करे कविता। कभी, अलंकारों से श्रंगारित कविता.. कभी, सादगी से सहज उपजती कविता। मौन, को मुखरित करती कविता.. शब्दों, को लय में पिरोती कविता। इंद्रधनुषी, रंगों का सृजन […]