*उपहार*

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kusum joshi
          सीमा के हाथ में जैसे ही उनकी ममेरी जिज्जी अंशु ने विदाई के वक्त टीका कर उन्हें उपहार का  पैकिट पकड़ाया तो उनकी आंखें एक पल के लिये विचित्र आश्चर्य के साथ फैल गई, मैं अदद पैकिट भी उनके हाथों में आत्मीयता और पुराना नाता महसूस करने लगा..,ये कैसी कशिश थी,
     सीमा जी विदा ले के अपनी कार में आ बैठी..उन्होंने गहरी सांस ली ,अपने पर्स को पीछे सीट में रखा और ड्राइविंग सीट में बैठे अपने पति समीर को देख हौले से मुस्कुराई…फिर पीले रंग के पॉलेथीन जिसमें सिल्वर रंग से दिल या पत्ते का डिजाइन बना था,उसे हौले से खोला और सीमा जी के कान तक हल्की सी ललाई फैल गई , पर क्यों? इसे समझाने के लिये मुझे ही कुछ पीछे लौटना  पड़ेगा।
         मैं पैकिट के अंदर पड़ा ग्रासिम का पेन्ट शर्ट पीस हूं और मेरे साथ एक चमकदार कढ़ाई वाला गुलाबी रंग का औसत सा शलवार सूट पड़ा है,पिछले साल से अब तक मैं पांच हाथों से होता हुआ पांच घरों की अल्मारियां और बक्सों को देख चुका हूं।
     दो महिने पहले रीता जी की बड़ी ताई के घर बड़े से टीन के बक्से में बहुत सी उपहार में मिले सूट पीस  साड़ियों के साथ रहा , रीता जी अपने ताई के पोते के नामकरण में आई तो ताई जी ने मुझे रीताजी के साथ विदा करा दिया,रीताजी ने मुझे देख नाक भोंहें सिकोड़ी और फिर दो महिने उपेक्षित सा उनकी अल्मारी में पड़ा रहा , फिर मेरे दिन फिरने की आहट तब हुई जब रीताजी की मामी अपने छुटके बेटे के साथ ईलाज कराने शहर  रीताजी के पास आई , तो जाते समय ससम्मान मामी के साथ मुझे विदा कर दिया गया। मामी जी ने मुझे सम्मान के साथ अपनी अटैची में सहेजा और और “बुदबुदाई कि अबके अंशु को आना है ये कपड़े हम उन्हें विदाई में दे देंगें”।
    फिर हम अंशुजी के घर आ गये,कुछ दिन अंशु जी के घर रहने के बाद आज उन्होने हमें  सीमाजी के साथ विदा करा दिया , तब से सीमा जी हैरान परेशान सोच में पड़ी हैं कि “ये पिछले साल ही तो मैंने अपनी छोटी बहिन की सास को भेंट किया था..ये फिर घूम फिर के फिर मेरे पास ही कैसे आ गया”,
   समीर तुम्हें अगर याद है तो ये गिफ्ट आपके चचेरे भाई दीपक की शादी में उसकी ससुराल से मिला था…कुदरत का करिश्मा देखो.. लौट के मेरे पास ही आ गया…कितनी शर्म की बात है,अबके तो इसे मैं अपनी मेड को दे दूंगी…वो जो भी करे ..कम से कम लौट कर तो मेरे पास नही आयेगा..” गहरी सांस भरते हुये सीमा जी बोली।
    समीर जी उनकी बातों को सुन कर और मैं गिफ्ट पैक अपनी किस्मत में मुस्कुरा उठा।
           #डा. कुसुम जोशी
          गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश)

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।